आज भारत में शाम 04 बजे से सूर्य ग्रहण लग जायेगा. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल मान्य हो जायेगा, जो की सूर्यास्त के साथ ही पूरा होगा. चूंकि भारत में भी आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा, इसलिए सूतक के सारे नियम मान्य होंगे. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सूतक के नियमों के अनुसार आज 25 तारीख को किन-किन बातों का ध्यान रखना होगा. आइये जानें इस संदर्भ में विस्तार से.
वस्तुतः इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या 24 अक्टूबर 2022 की शाम से शुरू हुई, जो आज दोपहर के बाद समाप्त होगी. आज की अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं, जहां तक सूर्य ग्रहण की बात है तो इसका असर सूर्यास्त तक रहेगा. ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान-ध्यान जरूरी है. चूंकि सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व ही शुरू होने का विधान है, ऐसी स्थिति में सूतक काल आज सुबह से शाम तक मान्य रहेगा. सूतक काल में मंदिर पर परदे डाल दिये जाते हैं, अथवा कपाट बंद कर दिये जाते हैं, जो सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद खुलते हैं.
अगर आपने दीपावली पूजन के लिए चौकी एवं कलश स्थापित किया है, तो आज पूरे दिन मंदिर, कलश अथवा प्रतिमा आदि स्पर्श करने से बचना चाहिए, इस काल में पूजा-अर्चना आदि भी वर्जित होती है. सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान-दान करने के पश्चात दीपक प्रज्वलित कर मंदिर अथवा इसमें उपस्थित देवी-देवता की प्रतिमा को स्पर्श करना चाहिए. गौरतलब है कि आज सूर्यास्त शाम 06.25 पर होगा, इसके साथ ही सूर्य ग्रहण एवं सूतक काल समाप्त होगा.
भारत में सूर्य ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण - 25 अक्टूबर 2022, मंगलवार
सूर्य ग्रहण का समय – 04.22 PM से 05.45 PM तक
सूर्य ग्रहण की अवधि - कुल 1 घंटा 21 मिनट
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं इन बातों पर विशेष ध्यान दें.
आचार्य श्री भगवत जी महाराज के अनुसार जिसकी राशि में सूर्य ग्रहण देखना वर्जित है, उन्हें किसी भी कीमत पर सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए. इसका बुरा असर पड़ सकता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के कारण लगने वाले सूतक काल के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा. आइये जानें उन्हें किन-किन बातों से परहेज करना चाहिए.
* ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को तेज धार वाली धातु से बनी वस्तुओं मसलन कैंची, पिन, सुई, चाकू, छुरी आदि के इस्तेमाल से बचना होगा.
* गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलना निषेध होता है, क्योंकि इस दरम्यान ग्रहण की तीक्ष्ण किरणें गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकती हैं. बेहतर होगा, ग्रहण काल में दरवाजे बंद रखें और खिड़कियों पर पर्दा डाल दें.
* ग्रहण काल में ना ही भोजन बनाना चाहिए और ना ही बचे हुए भोजन का सेवन करना चाहिए.
* दीवाली के बचे हुए खाने अथवा मिठाई जैसी वस्तुओं में तुलसी दल अथवा कुश डाल दें, मान्यता है कि इससे ग्रहण का दोष नहीं लगता.
* सूतक काल में देवी-देवता की पूजा अथवा किसी भी तरह के पूजा अनुष्ठान से परहेज करना चाहिए. अच्छा होगा कि मंदिर के ऊपर कपड़ा डालकर ढक दें.
* ग्रहण काल में अगर गर्भवती महिलाएं चाहें तो गायत्री मंत्र, सूर्य मंत्र, विष्णु मंत्र अथवा सुंदर कांड का पाठ करें, लेकिन यह कार्य मंदिर से दूर होकर ही करें.