सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण दोनों की ही धार्मिक प्रतिबद्धता है. इस वर्ष 2019 के अंत में लगने वाले इस सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिकों ने ‘रिंग ऑफ फायर’ का नाम दिया है. इस सूर्य ग्रहण को लेकर कई लोगों के मन में अगर आध्यात्मिक शंकाएं हैं तो कुछ लोग इसके वैज्ञानिक महत्व पर ज्यादा विश्वास करते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यही है कि यह सब महज खगोलीय घटना से ज्यादा कुछ नहीं.
कैसे और कब लगता है सूर्य ग्रहण
खगोलीय घटना क्रम में जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आता है तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के पीछे छिप जाती है. सूर्य के इस छिपने की प्रक्रिया को सूर्य ग्रहण कहते हैं. सूर्य का जब आधा हिस्सा ढकता है तो आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है, जब सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा की आड़ में आ जाता है तब पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है. अमूमन पूर्ण सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही लगता है.
नासा की चेतावनी
लेकिन साल के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को लेकर वैज्ञानिक विशेष रूप से सतर्क हैं. विशेषकर नासा के वैज्ञानिक इस पर गहरी नजर रखे हुए हैं. नासा की एक विज्ञप्ति के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण जो ‘रिंग ऑफ फायर’ दिखेगा, जो काफी दर्शनीय तो होगा, व्यावहारिक रूप से व्यक्ति विशेष के लिए उतना ही खतरनाक भी साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों ने इस ग्रहण को नंगी आंखों से न देखने की सख्त हिदायत दे रखी है. उनके अनुसार ग्रहण के दौरान सूर्य से कुछ खास तरह की किरणें निकलती हैं, जो नंगी आंखों के संपर्क में आने पर आंखों की पुतलियों को प्रभावित कर सकती है, तथा व्यक्ति के आंखों की रोशनी भी जा सकती है. जो लोग मोबाईल से इसका वीडियो अथवा फोटो लेना चाहते हैं, उन्हें भी सीधा कैमरा प्रयोग करने के बजाय सोलर फिल्टर्स अथवा व्यूअर का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा विशेष किस्म का आंखों का चश्मा लगाकर भी सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है. इसे सनग्लास की मदद से अथवा ऑनलाइन भी देखा सकता है.
कहां-कहां दिखेगा यह सूर्य ग्रहण
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत के सभी शहरों में दिखेगा. इसके अलावा पूर्वी यूरोप, उत्तरी-पश्चिम आस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में यह सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है. जानकारों के अनुसार प्रातःकाल 08 बज कर 04 मिनट से आंशिक सूर्य ग्रहण शुरू होगा. 09 बजकर 26 मिनट तक पूर्ण सूर्य ग्रहण लग जाएगा. दिन 11 बज कर 05 मिनट तक सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा. यानी ग्रहण की पूर्ण अवधि 3 घंटे 1 मिनट की होगी.
वैज्ञानिक प्रतिबंधों को अंधविश्वास मानते हैं
ज्योतिष एवं पुरोहित गण सूर्य ग्रहण के दरम्यान खाना खाने अथवा पकाने, पूजा पाठ करने आदि से मना करते हैं, उनके अनुसार गर्भवती महिलाओं एवं अन्य रोगियों को ग्रहण काल में बाहर नहीं निकलना चाहिए, ना ही इस दरम्यान शारीरिक संबंध बनाना चाहिए, लेकिन वैज्ञानिक इन सारी दलीलों को महज ढोंग मानते हैं. उनका कहना है कि ग्रहण काल में जो काम एक सामान्य आदमी कर सकता है, वह सारे कार्य गर्भवती महिला एवं रोगी भी कर आसानी से कर सकते हैं.