संतान प्राप्ति एवं उसके सुखी जीवन के लिए हर वर्ष कार्तिक मास शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि से चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत होती है. ज़ादातार बिहार राज्य में मनाये जाने वाले इस महापर्व पर सूर्यदेव का व्रत एवं पूजा होती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. यह भी पढ़े:Diwali 2021: देवी लक्ष्मी के इन प्रतीकों का रखें ध्यान, ना करें अपमान! हो सकता है धन का भारी नुकसान!
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा के दौरान सूर्य देवता और उनकी बहन मानी जाने वाली छठी मईया की पूजा की जाती है. पूजा की शुरुआत जहां नहाय-खाय से होती है, वहीं पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर खीर का प्रसाद बनाती हैं. ये खीर गुड़ की होती है. शाम को पूजा करने के बाद इस गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और ग्रहण भी किया जाता है.
दीपावली महापर्व की समाप्ति के बाद बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में छठ पूजा पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं, यद्यपि मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में भी छठ पूजा का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. छठ का यह व्रत संतान-प्राप्ति एवं उनके सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए किया जाता है.
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी से शुरू होनेवाली छठ पूजा चार दिनों तक चलती है. इस पर्व पर मुख्यतया सूर्यदेव की पूजा- अर्चना होती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष छठ पूजा 10 नवंबर दिन बुधवार से शुरू हो रहा है. आइए जानें 4 दिनों तक चलने वाले छठ पूजा पर्व के सिलसिलेवार कार्यक्रमों के बारे में.
छठ पूजा 2021 के सिलसिलेवार कार्यक्रम
* पहला दिन: (08 नवंबर 2021) इस दिन संध्याकाल में नहाय खाय के साथ छठ पूजा प्रारंभ होगी.
* दूसरा दिन: (09 नवंबर 2021) इस दिन खरना होता है. कहीं-कहीं इसे लोहंडा के नाम से भी पुकारा जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं और रात में खीर खाकर पुनः 36 घंटे का कठिन निर्जल व्रत शुरू किया जाता है. इस दिन व्रती को बड़ी साफ-सफाई के साथ खुद ही प्रसाद बनाना होता है.
* तीसरा दिन: (10 नवंबर 2021) खरना के अगले दिन छठ मैया और सूर्य देव की पूजा-अर्चना होती है. छठ का यह सबसे महत्वपूर्ण एवं कठिन व्रत होता है, क्योंकि इस दिन व्रती को निर्जल व्रत रखना होता है.
* चौथा दिन (11 नवंबर 2021)
इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने और पारण के साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.