Diwali 2021: देवी लक्ष्मी के इन प्रतीकों का रखें ध्यान, ना करें अपमान! हो सकता है धन का भारी नुकसान!
लक्ष्मी माता (Photo Credits:File Photo)

Diwali 2021: सनातन धर्म में हर देवी देवता के कुछ प्रतीक चिह्न होते हैं, मान्यतानुसार उनमें भी अमुक भगवान का किसी ना किसी रूप में वास होता है, इसलिए उनके उपयोग या रखरखाव में ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. दीपावली (Deepawali) के इस अवसर पर हम देवी लक्ष्मी (Maa Lakshmi) के कुछ ऐसे ही मान्यतास्वरूप प्रतीक चिह्नों पर चर्चा करेंगे.

लक्ष्मी-प्रिय सुहाग की वस्तुएं एवं स्वर्णाभूषण!

हिंदू धर्म की मान्यतानुसार देवी लक्ष्मी वैभव स्वरूपा हैं और श्रृंगार प्रसाधन सामग्री एवं आभूषण इत्यादि वैभव का परिचायक होते हैं. इसी आधार पर माना जाता है कि श्रृंगार की प्रत्येक वस्तुओं में माँ लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए स्वर्णाभूषणों से लेकर श्रृंगार की प्रत्येक वस्तुओं को बहुत स्वच्छ, सुरक्षित एवं सम्मानित स्थान रखना चाहिए. ध्यान रहे कि पूजा-अर्चना के समय जो भी आभूषण पहनें, वह स्वच्छ एवं चमकदार होनी चाहिए. यही वजह है कि बहुत सी महिलाएं आभूषण पहनने से पूर्व उसकी क्लीनिंग करवाती हैं. नकली आभूषण पहनकर लक्ष्मीजी की पूजा नहीं करनी चाहिए.

झाड़ू का इस्तेमाल!

धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी लक्ष्मीजी के बारे में मान्यता है कि वे स्वच्छता पसंद देवी हैं, जहां साफ-सफाई होती है. वहीं वास करती हैं. चूंकि घर की सफाई में झाड़ू का विशेष इस्तेमाल होता है, इसलिए मान्यतानुसार झाड़ू में लक्ष्मीजी का वास होता है, इसलिए झाड़ू का इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र में भी झाड़ू का विशेष उल्लेख मिलता है कि घर की सफाई में प्रयोग होनेवाले झाड़ू को फेंकने, उस पर पैर रखने, उसे गंदी जगहों पर रखने, उस पर गंदगी बिखेरने, उसे उल्टा रखने अथवा उसे दान देने आदि से बचना चाहिए. इससे लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं, और आप भारी आर्थिक दबाव में पड़ सकते हैं, आपकी नौकरी, आपका व्यवसाय, आपकी आमदनी प्रभावित हो सकती है. ऐसी भी मान्यता है कि पुरानी पड़ चुकी झाड़ू की जगह नई झाड़ू शनिवार के दिन खरीदना शुभ होता है. यह भी पढ़ें : Gift for Deepavali 2021: इस दीपावली पर अपनों को दें कुछ खास गिफ्ट! चुनें 1000 से 1500 रूपये की रेंज में आकर्षक तोहफे!

विष्णु-प्रिय शंख में है लक्ष्मी का वास!

सनातन धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है. माँ भगवती से लेकर भगवान विष्णु तक की पूजा में शंख बजाकर उनका आह्वान करने की परंपरा है. जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को परमप्रिय है शंख, इसीलिए वे इसे धारण करते हैं. विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि श्रीहरि के परमप्रिय शंख में माँ लक्ष्मी वास करती हैं. धार्मिक पुराणों में उल्लेखित है कि समुद्र-मंथन के समय सबसे अंत में माँ लक्ष्मी शंख पर प्रकट हुई थीं. तब श्रीहरि ने शंख को धारण करने के पश्चात माँ लक्ष्मी से विवाह किया था. इसलिए पूजा स्थल पर शंख अवश्य रखना चाहिए. अगर किसी वजह से शंख खंडित हो गया है तो उसे इधर-उधर फेंकने के बजाय समुद्र या नदी में ही प्रवाहित करना चाहिए. शंख बजाने के पश्चात उसे गंगाजल से शुद्ध करके ही पूजा स्थल पर रखना चाहिए.

घर के बर्तन एवं अन्नपूर्णा!

सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी अन्नपूर्णा के रूप में रसोईघर में वास करती हैं, इसलिए रसोईघर की समय-समय पर सफाई रखना जरूरी होता है. घर में प्रयोग किये जानेवाले बर्तन देवी अन्नपूर्णा की प्रिय वस्तु मानी जाती है. इसलिए जूठे बर्तन ज्यादा देर तक रसोई में नहीं रखना चाहिए, ऐसा करने से अन्नपूर्णा का अपमान होता है. रात में सोने से पहले सभी जूठे बर्तनों को धो-सुखा कर करीने से सजाकर रखना चाहिए. बर्तनों का टकराना अशुभता का प्रतीक होता है, इसलिए हर बर्तन को उचित तरीके से रखना चाहिए.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.