‘अगर किसान समृद्ध है तो देश समृद्ध है.’ कम से कम कृषि प्रधान देश भारत के लिए यह वाक्य किसी प्रभावशाली मंत्र से कम नहीं है. यहां प्रस्तुत है राष्ट्रीय किसान दिवस पर किसी कॉलेज प्रांगण में दिये जाने वाले भाषण के प्रमुख अंश
माननीय मुख्य अतिथि महोदय, प्रधानाचार्य, शिक्षक गण एवं साथियों
किसान हमारे राष्ट्र के स्तंभ हैं. वे सर्दी, गर्मी और बरसात की पीड़ा सहकर कड़ी मेहनत-मशक्कत के बाद देशवासियों के लिए लिए खाद्य सामग्री की आपूर्ति करते हैं, चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां करीब 70 फीसदी किसान देश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी की भूमिका निभाते हैं. इन पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था टिकी है. ऐसे में भारत के लिए कृषि और कृषक के महत्व को समझा जा सकता है. इसलिए हम सभी को किसानों का आदर एवं सम्मान करना चाहिए. किसानों के इसी महत्व को सम्मान देने के उद्देश्य से 23 दिसंबर को राष्ट्र किसान दिवस मनाया जाता है. यह भी पढ़ें : New Year’s Day 2024: ‘आयुष्मान’ और ‘गजकेसरी’ सहित अन्य योग एवं नक्षत्रों में होगी नववर्ष की शुरुआत! जानें ये नक्षत्र एवं योग नये साल के लिए कितने शुभ साबित होंगे!
महोदय, क्या आप जानते हैं कि किसान दिवस के लिए 23 दिसंबर की तारीख ही क्यों चुनी गई? बता दूं कि इसी दिन हमारे देश के पांचवें प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह का जन्म दिवस भी मनाया जाता है. चूंकि चौधरी चरण सिंह एक किसान परिवार से थे, और उन्होंने अपने कार्यकाल में किसानों के लिए कई कल्याणकारी कार्य किये. उन्हीं की बदौलत 1 जुलाई 1952 को उत्तर प्रदेश में जमींदारी प्रथा खत्म हुई और गरीब किसानों को उनका अधिकार मिला. साल 1954 में चरण सिंह ने किसानों के हित में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया. किसानों के लिए तमाम कल्याणकारी कार्यों को संपादित करने के कारण ही भारत सरकार ने उन्हें सम्मान देने हेतु उनके जन्म दिन को ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
यहां बता दूं कि राष्ट्रीय किसान दिवस की स्थापना चौधरी चरण सिंह की जन्म शताब्दी के अवसर पर साल 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह ने की थी. इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है.
महोदय, एक भारतीय होने के नाते मैं यह बताकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं, कि दुनिया भर में भारत कृषि उत्पादन के क्षेत्र में विश्व के चार प्रमुख देशों में एक है, जहां भारी तादाद में अन्न, दलहन, सब्जियों और फलों की पैदावार होती है. इसके साथ-साथ भारत वैश्विक उत्पादन के 22 प्रतिशत के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, और दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. दूध के कुल उत्पादन ने सकल घरेलू उत्पाद में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत में कृषि कभी भी आसान नहीं रहा है. बेहतर फसल पाने के लिए किसानों को मिट्टी की वैरायटी, जलवायु परिवर्तन, वायुमंडलीय स्थितियों आदि के बारे गहरी जानकारी होनी चाहिए. भारत की खाद्य व्यवस्था बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने हेतु फसलों, फलों, सब्जियों और दूध के उत्पादन पर निर्भर करती है. ऐसी मांगों को पूरा करने के लिए, उन्नत कृषि तकनीकों के साथ उत्पादन को लागू करने की आवश्यकता है.