हिंदू धर्म में आदिकाल से ही प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता रहा है. यही कारण है कि यहां, पशु-पक्षियों से लेकर वृक्ष, पहाड़ एवं नदियों तक को पूजनीय माना जाता है. नदियां प्रकृति का अभिन्न हिस्सा है, और मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इसी वजह से नदियों को माँ का स्वरूप माना जाता है. हमारे यहां तमाम पवित्र नदियों में एक हैं नर्मदा. गौरतलब है कि नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के पूर्वी संधि स्थल पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ था. हिंदू पंचांगों के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा का प्राकट्य हुआ था, मान्यता है कि इस दिन नर्मदा नदी की पूजा-अनुष्ठान करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 16 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जाएगी, आइये जानते हैं, नर्मदा जयंती के महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा विधि के बारे में...
नर्मदा जयंती का महत्व
नर्मदा जयंती भारत में नर्मदा नदी के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व नर्मदा नदी की जयंती के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में गंगा नदी की तरह एक पवित्र नदी माना जाता है. इस नदी के साथ अपार सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और विरासत जुड़ी हुई हैं. मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र के जिन भू भागों से नर्मदा नदी गुजरती है, वहां नर्मदा जयंती बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नर्मदा नदी का अस्तित्व भगवान शिव के दिव्य हस्तक्षेप से अस्तित्व में आई. कहा जाता है कि भगवान शिव ने राक्षसों से युद्ध करते समय पाप का भागीदार बने देवताओं की शुद्धि के लिए नर्मदा का निर्माण किया था. यह भी पढ़ें : Shab E Barat 2024 Date: कब है शब-ए-बारात? जानें क्या है इस पर्व का इतिहास, महत्व एवं सेलिब्रेशन का तरीका?
नर्मदा जयंती 2024 शुभ मुहूर्त
माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी प्रारंभः 10.12 AM (15 फरवरी 2024, गुरुवार) बजे से
माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी समाप्तः 08.54 AM (16 फरवरी 2024, शुक्रवार) तक
उदया तिथि के अनुसार 16 फरवरी 2024 को नर्मदा जयंती मनाई जाती है.
नर्मदा जयंती पूजा विधि
नर्मदा जयंती के दौरान हजारों श्रद्धालु नर्मदा नदी के पवित्र तट पर स्नान-ध्यान कर देवी नर्मदा नदी को नारियल एवं मिष्ठान चढ़ाते हैं. धूप दीप प्रज्वलित करते हैं और नर्मदा नदी में दीप-दान करते हैं. महिला श्रद्धालु देवी नर्मदा प्रसन्न करने के लिए लोक गीत एवं भजन गाते हैं. इस अवसर पर नर्मदा तट पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, शहर में जुलूस निकाले जाते हैं, जिसका समापन नर्मदा तट पर होता है. इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं, और कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.