मुलेठी है सेहत और सौंदर्य का अचूक इलाज, कैसे आइए जानें..
मुलेठी, (फोटो क्रेडिट्स: Wikimedia Commons)

महाभारत काल में जब युद्ध में सैनिक घायल हो जाते थेतब राजवैद्य इन सैनिकों के घावों पर मुलेठी (Liquorice) पाउडर और शहद का लेप लगाते थे, कहा जाता है कि यह लेप इतना कारगर होता था कि रात भर में घायल सैनिक अगले दिन पुनः युद्ध लड़ने के लिए खुद को तैयार कर लेता था. कहने का आशय यह है कि मुलेठी में सेहत और सौंदर्य के इतने सारे तत्व समाहित हैंजिसकी तुलना किसी भी जड़ी बूटी से करना बेमानी ही होगा. यहां  हरिद्वार के विख्यात आयुर्वेदाचार्य. डॉ. सोम जी से मुलेठी की उन खूबियों के बारे में बता रहे हैंजो आपकी सेहत के साथ-साथ सौंदर्य के लिए भी काफी प्रभावशाली साबित हो सकती हैं.

मुलेठी की उपयोगिता

मुलेठी की खूबियों का जितना भी वर्णन किया जाए कम ही होगास्वास्थवर्धक एवं रोग निवारण वनौषधियों में मुलेठी का प्रमुख स्थान है. आयुर्वेद के प्रारंभ के साथ ही मुलेठी का प्रयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता रहा है.

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क्या है मुलेठी

मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है. आमतौर पर इसकी ऊंचाई 6 फुट के आसपास ही होती है. मुलेठी की झाड़ियां आमतौर पर अरब-फारस की खाड़ीअफगानिस्तानतुर्कीस्तानसाईबेरियाईरान-इराक में पाई जाती हैं. इसकी जड़ें गोलझुर्रीदारलंबी तथा कई ब्रांचेज में बंटी होती हैं. इसकी जड़ें पीले रंग की रेशेयुक्त होती हैं. इसके पत्ते संयुक्त तथा अंडाकार जोड़ो में होते हैं. इसके फूलों का रंग गुलाबी या बैगनी होते हैं. इसकी टहनियों  पर पतली तथा छोटी-छोटी फलियां लगी होती हैं. इन फलियों में 2 से 5 की संख्या में गोलाकार बीज होते हैं. औषधि के रूप में ज्यादातर इसकी जड़ें ही इस्तेमाल की जाती हैं.

यह विदेशी वनौषधि है

मुलेठी हमारे देश में नहीं के बराबर होता है. इसलिए इसे विदेशी वनौषधि कहना ज्यादा सही होगा. हांलाकि बीते कुछ सालों में भारत के हिमालय के आसपास के क्षेत्रों मसलन जम्मु-कश्मीरदेहरादून आदि में यह उगाया जाने लगा है. लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए आज भी हमें इसे बाहर के देशों से आयात करना पड़ता है.

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तमाम तत्वों से भरपूर है मुलेठी

इन दिनों शुद्ध मुलेठी की जड़ें मुश्किल से सुलभ हो पाती हैं. शुद्ध मुलेठी रेशेदार, पीले रंग की हल्की-फुल्की गंध लिए होती हैं. इसकी कच्ची ताज़ी जड़ें बहुत मीठी होती हैं. लेकिन सूखने के पश्चात यह मिठास के साथ-साथ अम्लीययुक्त भी हो जाती हैं.  मुलेठी के पेड़ पर जब फूल खिलने लगें तो फूल वाली शाखाओं को काट दिया जाता है. इससे शाखाओं को अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त होकर वह और अधिक गुणकारी बन जाती है. इसमें चूनानमकपोटेशियमशर्करास्टार्चस्नेहरालएवं असपेराजनगुलुकोज़सुक्रोज जैसे कई खनिज पदार्थ एवं प्रचुर मात्रा में प्रोटीन आदि पाए जाते हैं. 

रोगनाशक औषधि

आयुर्वेद के अनुसार मुलहठी शीतलमधुर व भारी होती है. यह गले के रोगोंवात-पित्त एवं रक्त दोष नाशक भी होती है. इससे उल्टीघाव शोधविष दोष आदि को भी निष्क्रिय किया जा सकता है. इसके अलावा सूखी खांसी या गले की समस्या के लिए भी मुलेठी बहुत उपयोगी जड़ी है. मुलेठी की सूखी जड़ों के साथ काली मिर्च पीस कर इसका सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा इसकी सूखी हुई जड़ें चूसने से गले की खरासदर्द अथवा गला बैठ गया है तो लाभ प्राप्त होता है. दूध के साथ मुलेठी का सेवन करने से शरीर स्वस्थ एवं मजबूत बनता है. अगर मुलेठी के साथ शुद्ध घी एवं शहद का लेप बनाकर सेवन किया जाए तो ह्रदय संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. मुंह में छाले हो गए हों तो मुलेठी चूसने से छाले दूर हो जाते हैं. पेट के अल्सर वालों को मुलेठी का नियमित सेवन करना चाहिए इससे ठंडक का अहसास होता है.

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मुलेठी सौंदर्योपयोगी भी

मुलेठी को अच्छी तरह सुखाकर इसे पानी के साथ घिसकर चेहरे के दाग-धब्बों को मिटाया जा सकता है. त्वचा की किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए मुलेठी बहुत ही कारगर उपाय है. यह रक्त को साफ कर त्वचा को रोगमुक्त भी बनाती है. किसी कारण से आपकी त्वचा कहीं जल अथवा झुलस गई है तो मुलेठी का पावडर कर लेप बनाएं. इसे जले हुए स्थान पर लगाएं. अगर दाग-धब्बे होंगे तो वे इस लेप के नियमित उपयोग से दूर हो जाएंगे. मुलेठी से आवाज मधुर और सुरीली बनती हैइसलिए हिंदुस्तान के अधिकांश गायक मुलेठी की जड़े अपने पास रखते हैंऔर गाहे-बगाहे इसका इस्तेमाल करते हैं.