Shockwave Syringe: सुई अब चुभेगी नहीं , आईआईटी बॉम्बे ने बनाई शॉकवेव सिरिंज
INJECTION (img: pixabay)

नई दिल्ली, 27 दिसंबर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक शॉकवेव आधारित सुई रहित सिरिंज विकसित की है. जो त्वचा को कम नुकसान पहुंचाते हुए दर्द रहित और सुरक्षित दवा शरीर में पहुंचाती है. शॉक सिरिंज सुई से घबराने वाले लोगों की मदद कर सकती है. डर की वजह से कई लोग टीकाकरण और अन्य चिकित्सा उपचारों से बचते हैं. यह उन रोगियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है जिन्हें मधुमेह है और जिन्हें बार-बार इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. आईआईटी बॉम्बे में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने बताया कि सुई वाली सिरिंज के विपरीत, शॉक सिरिंज त्वचा में चुभती नहीं है. इसके बजाय, यह उच्च-ऊर्जा दबाव तरंगों (शॉक वेव्स) का उपयोग करती है जो त्वचा को ध्वनि की गति से भी तेज गति से भेदती हुई आगे बढ़ती है.

टीम ने जर्नल ऑफ बायोमेडिकल मैटेरियल्स एंड डिवाइसेस में अध्ययन प्रकाशित हुआ है. विश्वविद्यालय की शोधार्थी और प्रमुख लेखिका प्रियंका हंकारे ने कहा कि शॉक सिरिंज को दवा को तेजी से पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है. अगर नियमित सिरिंज को बहुत तेजी से या अत्यधिक बल के साथ डाला जाए, तो इससे त्वचा या अंतर्निहित ऊतकों को अनावश्यक आघात पहुंच सकता है. उन्होंने आगे कहा कि ऊतक (टिशू) क्षति को कम करने और लगातार और सटीक दवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए, शॉक सिरिंज में दबाव की लगातार निगरानी की जाती है और "टिशू सिमुलेंट्स (जैसे सिंथेटिक त्वचा) पर कठोर परीक्षण जेट इंसर्शन के बल और गति को कैलिब्रेट करने में मदद करता है, जिससे सुरक्षा और आराम सुनिश्चित होता है. यह भी पढ़ें : Benefits of Tea, Coffee on Head and Neck Cancer: चाय, कॉफी पीने से कम होता है सिर और गले के कैंसर का जोखिम; अध्ययन

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने नोजल डिजाइन को केवल 125 माइक्रोन (लगभग एक मानव बाल की चौड़ाई) तक रखा है. हंकारे ने बताया कि यह सुनिश्चित करता है कि यह दर्द को कम करने के लिए ठीक है. यह जांचने के लिए कि शॉक सिरिंज कितनी कुशलता से दवा वितरित करती है, शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग परीक्षण किए जिसमें उन्होंने चूहों में तीन अलग-अलग प्रकार की दवाओं को इंजेक्ट किया. उन्होंने हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) विधि का उपयोग करके शरीर में दवा वितरण और अवशोषण की निगरानी के लिए रक्त और ऊतकों में दवा के स्तर को मापा गया.

जब परीक्षणों के लिए चूहों की त्वचा के माध्यम से एक एनेस्थेटिक (केटामाइन-जाइलाजिन) इंजेक्ट किया गया, तो शॉक सिरिंज ने सुइयों के समान ही प्रभाव प्राप्त किया. दोनों मामलों में इंजेक्शन के तीन से पांच मिनट बाद एनेस्थेटिक प्रभाव शुरू हुआ और 20-30 मिनट तक चला. यह उन दवाओं के लिए शॉक सिरिंज की उपयुक्तता को साबित करता है जिन्हें धीमी और निरंतर रिलीज की आवश्यकता होती है. एंटीफंगल (टेर्बिनाफाइन) जैसे चिपचिपे ड्रग फॉर्मूलेशन के लिए शॉक सिरिंज ने नियमित सुइयों से बेहतर प्रदर्शन किया.

चूहे की त्वचा के नमूनों से पता चला कि शॉक सिरिंज ने सुई की डिलीवरी की तुलना में त्वचा की परतों में अधिक गहराई तक टेर्बिनाफाइन जमा किया. जब मधुमेह के चूहों को इंसुलिन दिया गया, तो शोधकर्ताओं ने पाया कि सुई की तुलना में शॉक सिरिंज का उपयोग करने पर रक्त शर्करा का स्तर प्रभावी रूप से कम हो गया और लंबे समय तक निचले स्तर पर बना रहा.

इसके अलावा, टीशू विश्लेषण से पता चला कि शॉक सिरिंज ने चूहे की त्वचा को सिरिंज की तुलना में कम नुकसान पहुंचाया. चूंकि शॉक सिरिंज कम सूजन पैदा करती हैं, इसलिए वह इंजेक्शन स्थल पर घाव को बहुत तेजी से ठीक करने देती हैं. शॉक सिरिंज का विकास दर्द रहित इंजेक्शन से कहीं अधिक वादा करता है. हंकारे ने आगे कहा कि शॉक सिरिंज को कई ड्रग डिलीवरी शॉट्स (जैसे, 1,000 से अधिक शॉट्स का परीक्षण) के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो विश्वसनीय है और जिसकी लागत भी कम है.