दक्षिण कोरिया के सांसदों ने दो हफ्ते के भीतर दूसरे राष्ट्रपति को महाभियोग लगा कर हटा दिया है. राष्ट्रपति हान डुक सू को उनके पहले यून सुक योल के हटने के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डुक सू दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री भी थे. उनसे पहले यून सुक योल को मार्शल लॉ लगाने की वजह से सांसदों ने सत्ता से बाहर किया था. विपक्षी सांसदों के नियंत्रण वाली नेशनल असेंबली ने महाभियोग का प्रस्ताव 192-0 से पारित किया. दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं. सत्ताधारी पीपुल पावर पार्टी के सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया और वो स्पीकर की कुर्सी के सामने जमा हो कर नारे लगाते रहे. उनका कहना था कि यह मतदान अवैध है, उन्होंने स्पीकर के इस्तिफे की भी मांग की.
स्पीकर ने मतदान और फिर महाभियोग का प्रस्ताव पारित होने की घोषणा की थी. दक्षिण कोरिया के ज्यादातर अधिकारियों को सामान्य बहुमत से महाभियोग ला कर हटाया जा सकता है. सिर्फ राष्ट्रपति के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. कार्यवाहक राष्ट्रपति के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं किया गया है. ऐसे में स्पीकर ने कहा कि सामान्य बहुमत के जरिए ही इस महाभियोग को पारित किया जा सकता है.
दूसरी बार महाभियोग क्यों
मुख्य विपक्षी डेमोक्रैटिक पार्टी ने हान पर यून के फैसलों में शामिल होने और बाद में कार्यवाहक नेता के रूप में यून के खिलाफ जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया है. उनका यह भी कहना है कि हान ने यून के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया पूरी करने से इनकार किया था.
फिलहाल वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री चोइ सांग मोक को हान की जगह देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है. 14 दिसंबर को नेशनल असेंबली ने जब यून सुक योल को हटाने का फैसला किया तब हान डुक सू को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया. 3 दिसंबर को यून सुक योल ने देश में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की, जिसके बाद देश में बवाल मच गया.
हान के महाभियोग का मतलब है कि राष्ट्रपति के रूप में उनके अधिकार और कर्तव्य उनसे छिन जाएंगे. संवैधानिक अदालत उन्हें बहाल करने या फिर बर्खास्त करने पर फैसला ले सकती है लेकिन तब तक वो निलंबित रहेंगे. संवैधानिक अदालत फिलहाल उनके पूर्ववर्ती यून सुक योल के महाभियोग पर सुनवाई कर रही है.
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रद्द भी हो सकता है महाभियोग
दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने शुक्रवार को यून के खिलाफ महाभियोग के मुकदमे की सुनवाई शुरू की. अगले कुछ हफ्तों में अदालत इस पर विचार करेगी कि क्या यून के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव संविधान के प्रस्तावों के अनुरूप था. अगर जजों ने महाभियोग की पुष्टि कर दी तो फिर 60 दिनों के भीतर देश में नए चुनाव होंगे. हालांकि अगर जजों ने महाभियोग को रद्द कर दिया तो फिर यून दोबारा देश के राष्ट्रपति बन जाएंगे.
महाभियोग पर कम से कम छह जजों की बेंच को मुहर लगाना होगा. संवैधानिक अदालत में 9 जजों के पद हैं लेकिन फिलहाल वहां छह जज ही कार्यरत हैं. ऐसे में अगर एक जज ने भी वीटो कर दिया तो फिर महाभियोग रद्द हो जाएगा.
मार्शल लॉ लगाने के यून के फैसले ने दक्षिण कोरिया और उसके सहयोगी देशों को हैरान कर दिया था. आम लोगों के प्रबल विरोध के कारण इसे कुछ ही घंटों में वापस ले लिया गया. यून ने अपने राजनीतिक विरोधियों को, "देश-विरोधी ताकतें" बताया और कहा कि उन्होंने देश को बचाने के लिए मार्शल लॉ की घोषणा की थी.
दो हफ्ते के भीतर दो राष्ट्रपतियों पर महाभियोग ने देश की राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाने के साथ ही आर्थिक अनिश्चितता को गहरा किया है और उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाया है.
एनआर/एए (डीपीए)