बिहार में प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र कभी पेपर लीक तो कभी परीक्षा विलंब से होने या फिर रद्द होने से परेशान रहते हैं. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का भी यही हाल है.बिहार में बीपीएससी की परीक्षा पहले 'नॉर्मलाइजेशन' को लेकर और फिर उसके बाद पटना स्थित 20,000 की क्षमता वाले देश के सबसे बड़े परीक्षा केंद्र ‘बापू परीक्षा परिसर' में हंगामे व बहिष्कार को लेकर विवादों में आ गई है. प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर कम से कम दो बार लाठीचार्ज तक किया गया. आयोग ने इस केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी है, जबकि छात्र पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग पर अड़े हैं.
दरअसल, बीपीएससी ने इस परीक्षा के जरिए 2,031 पदों के लिए सितंबर माह में विज्ञापन प्रकाशित किया था. इसमें एसडीएम के 220 तथा एसडीपीओ के 136 एवं अन्य राजपत्रित (गजेटेड) पद हैं. अभ्यर्थियों ने पहला विरोध 'नॉर्मलाइजेशन' को लेकर दर्ज किया. इसे लेकर बीपीएससी दफ्तर के बाहर 6 दिसंबर को अभ्यर्थियों ने बड़ा प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आने की खबरें हैं. छात्रों को डर था कि नॉर्मलाइजेशन की आड़ में उनके मार्क्स घटाए-बढ़ाए जा सकते हैं.
क्यों हुआ 'नॉर्मलाइजेशन' का विरोध
'नॉर्मलाइजेशन' एक ऐसी प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से परीक्षा परिणामों को एक समान बनाने के लिए उपयोग की जाती है, जब परीक्षा कई शिफ्टों में हो रही हो. हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया कि इसे लागू नहीं किया जाएगा. 13 दिसंबर को चार लाख, 80 हजार छात्र-छात्राओं ने राज्यभर में 912 केंद्रों पर परीक्षा दी. इसी दिन राजधानी पटना के कुम्हरार स्थित बापू परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थियों ने पेपर लीक होने, कुछ के फटे होने तथा विलंब से पेपर बांटे जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया.
इस केंद्र पर करीब 12,000 छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रहे थे. केंद्र में मौजूद होने के बावजूद हजार से अधिक परीक्षार्थियों को ओएमआर शीट नहीं मिल सकी. हंगामे और भगदड़ के बीच अतिरिक्त केंद्राधीक्षक राम इकबाल सिंह की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इसी दौरान नालंदा जिले की सुष्मिता कुमारी नामक एक महिला अभ्यर्थी की तबीयत खराब हो गई. उन्हें नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया.
दूसरी ओर पटना जिला प्रशासन ने एक सीसीटीवी फुटेज जारी करते हुए अपनी जांच में दावा किया है कि यह सब एक साजिश के तहत किया गया. एक विज्ञप्ति जारी कर जिला प्रशासन ने कहा है कि आंदोलन कर रहे छात्र गंभीर परीक्षार्थी नहीं हैं. वहीं, इस मामले में गठित एसआईटी ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सुपौल जिले के निवासी मनीष कुमार को गिरफ्तार किया है. वह पटना में रहकर बीपीएससी की तैयारी करता है. इसी आधार पर समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय निवासी अश्विनी कुमार और रोहतास के मोहम्मद फैयाज इदरीश को गिरफ्तार किया गया है. सहायक पुलिस अधीक्षक अतुलेश झा के अनुसार "19 दिसंबर को पकड़े गए मनीष कुमार के कब्जे से पुलिस ने परीक्षा हाल से गायब प्रश्न पत्र का बंडल बरामद किया गया. कुछ कोचिंग संचालकों द्वारा परीक्षार्थियों को भड़काने की सूचना मिली है, उन पर नजर रखी जा रही है."
छात्र-छात्राओं पर दोबारा लाठीचार्ज
बिहार लोक सेवा आयोग ने अभ्यर्थियों के आरोपों को नकारते हुए बापू परीक्षा केंद्र के परीक्षार्थियों के लिए चार जनवरी की तिथि की घोषणा कर दी. इसके बाद हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं 70वीं बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग करते हुए 18 दिसंबर को गर्दनीबाग में धरने पर बैठ गए. उनका कहना है कि 12,000 अभ्यर्थियों की परीक्षा अलग से होगी तो उनका मूल्यांकन किस तरह होगा और परीक्षा का कटऑफ कैसे तय किया जाएगा. उन्हें डर है कि कहीं नॉर्मलाइजेशन लागू कर परिणाम घोषित न कर दिया जाए.
इसके विरोध में छात्र-छात्राएं आयोग के दफ्तर का घेराव करने जब बीते बुधवार, 25 दिसंबर को हाथ जोड़कर मार्च करते हुए पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया. इसके बाद अभ्यर्थी वहीं धरने पर बैठ गए. पुलिस ने पहले हटने को कहा और फिर नहीं मानने पर लाठीचार्ज कर दिया. आरोप है कि महिला अभ्यर्थियों को भी पुलिस ने नहीं बख्शा. वहीं, सचिवालय डीएसपी अनु कुमारी कहती हैं, "बीपीएससी कार्यालय के निकट प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन किया जा रहा था. उनलोगों से बार-बार गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल लौट जाने का अनुरोध किया गया, लेकिन वे नहीं माने और कुछ लोग धरना पर बैठ गए, जिन्हें हल्का बल प्रयोग कर वहां से हटाया गया."
प्रतियोगिता परीक्षा की एसओपी बने
मुजफ्फरपुर के अभ्यर्थी अमरेश कुमार कहते हैं, "परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर परीक्षार्थी सात दिनों से ठंड में धरने पर बैठे हैं. आयोग द्वारा हमारी मांगों पर विचार या हमसे संवाद करने की बजाय, हमें उपद्रवी और असामाजिक तत्व बताया जा रहा है. एक पोस्ट के लिए दो परीक्षाएं क्यों? किस आधार पर दो परीक्षा ली जा रही?" अभ्यर्थियों का कहना है कि 70वीं परीक्षा को रद्द किया जाए, परीक्षा आयोजित करने की पूरी प्रक्रिया की गहन जांच हो तथा प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने के लिए एसओपी बनाया जाए और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर में छात्रों का नाम नहीं दिया जाए.
मस्तिष्क कैसे सीखता है: परीक्षा की तैयारी के लिए विज्ञान-आधारित सुझाव
पटना में रहकर बैंकिंग परीक्षा की तैयारी करने वाले बेगूसराय के गौरव कुमार कहते हैं, "एसओपी बनने से परीक्षा की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो सकेगी. ऑनलाइन के जमाने तो यह बहुत जरूरी है. ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की मिलीभगत से ही परीक्षा माफिया का काम आसान हो जाता है. कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की एमटीएस (मल्टी टास्किंग सर्विस) परीक्षा में धांधली तो ऑनलाइन सेंटर और एसएससी के अधिकारी ने मिलकर ही की."
वहीं, आयोग के सचिव सह परीक्षा नियंत्रक का कहना है, "परीक्षा पर बेवजह विवाद किया जा रहा है. दोबारा परीक्षा लेने की मांग बेबुनियाद है. परीक्षार्थी अप्रैल में संभावित मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं." वैसे यह भी सच है कि परीक्षार्थियों का एक बड़ा तबका पूरी परीक्षा रद्द किए जाने के पक्ष में नहीं है. इसे लेकर आयोग से भी आग्रह किया जा रहा है.
परीक्षार्थियों के समर्थन में आए राहुल-प्रियंका
इस प्रकरण को लेकर आरजेडी, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एमएल, जनसुराज और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन यादव ने नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में पूछा है कि कुछ कोचिंग संस्थानों के मॉडल पेपर से 25 प्रतिशत से अधिक प्रश्नों का मिल जाना क्या महज एक संयोग है. इसकी जांच होनी चाहिए. वहीं, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने लाठीचार्ज को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि लोकतंत्र में सबको अपनी बातों को रखने का अधिकार है.
राहुल गांधी ने एक्स पर अपने पोस्ट पर कहा कि उन्होंने संसद में कहा था कि "जिस तरह एकलव्य का अंगूठा कटवाया गया था, उसी तरह पेपर लीक कर युवाओं का अंगूठा काटा जाता है. पेपर लीक के खिलाफ आवाज उठा रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की घटना शर्मनाक और निंदनीय है. हम उनके साथ हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे." प्रियंका गांधी ने अपने पोस्ट में कहा है कि हाथ जोड़ कर प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर इस तरह लाठी चलाना क्रूरता की पराकाष्ठा है. जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने भी गुरुवार की देर शाम गर्दनीबाग जाकर प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं से मुलाकात की और कहा कि वे शुक्रवार की दोपहर वे उनके साथ मार्च करेंगे और उसमें वे सबसे आगे रहेंगे. पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन यादव ने तो कहा कि अगर परीक्षा रद्द नहीं होगी तो वे एक जनवरी को बिहार बंद करेंगे.
संदेह के घेरे में परीक्षाएं
पिछले विधानसभा चुनाव में रोजगार की बात काफी जोर-शोर से की गई और अंततः यह एक बड़ा मुद्दा बन गया. इसके बाद नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ रहे हों या फिर एनडीए के साथ, नौकरी-रोजगार के प्रति काफी संवेदनशील हैं. बीते गुरुवार को भी अपनी प्रगति यात्रा के दौरान उन्होंने सीतामढ़ी और शिवहर में 2025 में और तीन लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने के लक्ष्य को बढ़ाकर 12 लाख कर दिया गया है. अब तक राज्य में नौ लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है, जबकि 24 लाख को विभिन्न रोजगार से जोड़ा जा चुका है.
वहीं, दूसरी तरफ इससे इतर बिहार की परीक्षाओं में पेपर लीक, सेटिंग या साल्वर से परीक्षा दिलवाया जाना आम हो गया है. अकसर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. 2022 में भी बीपीएससी की 67वीं पीटी का पेपर लीक हुआ था. जिसकी जांच अभी जारी है. इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) पूरक चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार की अन्य एजेंसियों द्वारा ली जाने वाली परीक्षाएं जैसे- अमीन भर्ती परीक्षा, सिपाही भर्ती परीक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी नियुक्ति परीक्षा व शिक्षक नियुक्ति परीक्षा, यहां तक कि नीट-यूजी में धांधली किसी से छिपी नहीं है.
2012 से अब तक ईओयू ने परीक्षाओं में अनियमितता एवं पेपर लीक से जुड़े दस मामले दर्ज किए हैं. जिसके तहत करीब पांच सौ अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. पत्रकार अमरजीत कहते हैं, "नीट-यूजी समेत कई परीक्षाओं के पेपर लीक के किंगपिन संजीव मुखिया को अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है. रंजीत डॉन को छोड़ किसी बड़ी मछली का नाम बताइए, जिसे पकड़ा गया हो. नौकरी के लिए परीक्षाओं में सेटिंग के नाम पर लोग रोज ठगे जा रहे हैं. आखिर, क्यों नहीं कोई परीक्षा साफ-सुथरी हो रही."
प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की अफवाह उड़ाने वाले, गलत पेपर वायरल करने वाले या फिर पेपर लीक के नाम परीक्षार्थियों को धोखा देकर ठगी करने वाले पर ईओयू अब और सख्त कार्रवाई करने जा रही है. इसके तहत दोषी पाए जाने वाले एक से दस करोड़ तक जुर्माना और दस साल तक की सजा दी जा सकेगी.