भारत बहुभाषी एवं विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है, जहां हर तीज-त्योहारों की अलग ही छटा देखने को मिलती है. ऐसा ही एक पर्व है मकर संक्रांति. मकर संक्रांति भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव से संबंधित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो अमूमन 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. मकर संक्रांति से दिन बड़े व रातें छोटी होने लगती हैं, वहीं पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर भारत में इसे नई फसल की कटाई की खुशी में भी सेलिब्रेट किया जाता है. इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जायेगा. उत्तर भारत में अधिकांश लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, एवं खिचड़ी तथा तिल का दान करते हैं और खिचड़ी खाकर पर्व मनाते हैं. आइये भारत के अन्य प्रदेशों में मकर संक्रांति के विभिन्न रीति-रिवाज एवं संस्कृतियों से रूबरू हों.
उत्तरायण (गुजरात)
गुजरात में लोग संक्रांति के त्योहार को उत्तरायण के रूप में मनाते हैं. इस त्योहार के मौके पर गुजरात अपने 'काइट फेस्टिवल' के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. सुबह की प्रार्थना के बाद से लोग अपने-अपने छतों पर जाकर पतंग प्रतियोगिता में भाग लेते हैं. इस दौरान आपको हर जगह "काई पो छे" की आवाज सुनाई देगी. इसके अलावा लोग सर्दियों की सब्जियों से बनी उंधियू के साथ तिल और मूंगफली से बनी चिक्की जैसे व्यंजन भी खाते हैं यह भी पढ़ें : Sakat Chauth 2023: सकट चौथ व्रत दिलाता है संतान को हर संकटों से मुक्ति! जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि?
बिहु (असम)
असम में इस पर्व को बिहु नाम से मनाया जाता है. यह दिन असमिया नवरात्रि की शुरुआत भी माना जाता है. इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने के बाद लोग धोती, अंगोछा और सदर मेखेला जैसे पारंपरिक कपड़े धारण करते हैं, तथा किसी एक जगह सारे गांव के लोग एकत्र होकर लोक गीत गाते हैं और असमिया कन्याएं नृत्य करते हुए बिहु पर्व का जश्न मनाती हैं.
घुघुती (उत्तराखंड)
उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर्व को घुघुती के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व को यहां प्रवासी पक्षियों के स्वागत के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इसके साथ ही लोग खिचड़ी एवं गुड़ तिल से बने मिष्ठान गरीबों को दान करते हैं. घरों में विशेष रूप से आटे और गुड़ से बने पुवे, बड़े और पूरी बनाई जाती है, जिसे बच्चों द्वारा कौवों को खिलाया जाता है. मान्यता है कि जो बच्चा सबसे पहले कौवे को खाना खिलाने में सफल रहता है, वह सबसे भाग्यशाली बच्चा माना जाता है.
माघ साजी (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश में मकर संक्रान्ति को माघ साजी के नाम से मनाया जाता है. वास्तव में स्थानीय भाषा में साजी को संक्रान्ति कहते हैं, और माघ हिंदी माह होता है. इस दिन परिवार के सभी लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं, अगर नदी नहीं हो तो स्नान के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए. इसके बाद नाते रिश्तेदारों को खिचड़ी, तिल की चिक्की एवं मिठाई भेंट करते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोक गीत की लय के साथ नृत्य करते, और खुशियाँ मनाते हैं.
पोंगल (दक्षिण भारत)
पोंगल दक्षिण भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है, जो चार दिनों तक चलता है. पहले दिन भोगी पंडीगाई, दूसरे दिन थाई पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है. इस दरम्यान लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं, रंगोली सजाई जाती है. लोग मिट्टी के बर्तन में दूध, चावल, गुड़ और ड्राई फ्रूट की मिठाई बनाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं, बाद में इसे प्रसाद के रूप में सब लोग खाते हैं. तीसरे दिन बैलों की पूजा की जाती है. चौथे दिन आम और नारियल के पत्तों से तोरण बनाया जाता है. लोग एक दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं.
उत्तरैन, माघी संगराद (जम्मू)
जम्मू में यह पर्व उत्तरैन' और 'माघी संगरांद' के नाम से विख्यात है. मकर संक्रांति से माघ मास की शुरुआत होती है, इसलिए इसे 'माघी संगरांद' भी कहते हैं. डोगरा घरानों में इस दिन माँह की दाल की खिचड़ी मन्सना (दान) की जाती है. इसके पश्चात माँह की दाल की खिचड़ी खाई जाती है. इस दिन 'बावा अम्बो' जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है. उधमपुर की देविका नदी तट पर, श्रीनगर के घगवाल, अन्य पवित्र स्थलों पर पुरमण्डल और उत्तर बैह्नी के मेले लगते है. भद्रवाह के वासुकी मंदिर की प्रतिमा को इस दिन घी का लेप लगाया जाता है.