
प्रयागराज महाकुंभ के पांचवें मुख्य स्नान माघ पूर्णिमा पर स्नान कर पुण्य-लाभ लेने करोड़ों स्नानार्थी प्रयागराज पधार रहे हैं. बताया जा रहा है कि श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ से प्रयागराज से जुड़नेवाली हर महामार्गों पर करीब 50-60 किमी का जाम लगा हुआ है. संभावित आपदा से बचने के लिए महाकुंभ प्रशासन श्रद्धालुओं से अपील कर रहा है कि शिवरात्रि तक महाकुम्भ चलेगा, इसलिए लोग कम से कम संख्या में कुंभ नगरी पधारें. उधर ज्योतिष शास्त्रियों का भी कहना है कि किसी कारणवश अगर गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी पर माघ पूर्णिमा का स्नान संभव नहीं हो रहा है तो घर पर भी महाकुंभ स्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है. जानें कैसे घर पर माघ पूर्णिमा स्नान का पुण्य-फल अर्जित कर सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार गंगा स्नान के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, महाकुंभ में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, विशेषकर तब जब विशेष ग्रह-नक्षत्रों के योगों के साथ 144 साल बाद यह दिव्य अवसर प्राप्त हो रहा हो, मान्यता है कि महाकुंभ में त्रिवेणी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं, और इंसान जन्म-मृत्यु से मुक्त मोक्ष प्राप्त करता है, लेकिन वृद्धावस्था अथवा अस्वस्थ लोगों के लिए अगर महाकुंभ स्थल तक जाना संभव नही हो पा रहा है तो इन उपायों से भी महाकुंभ स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. यह भी पढ़ें : Magh Purnima 2025: घर सुख-समृद्धि लाने और दरिद्रता दूर करने हेतु माघ पूर्णिमा पर ये कार्य करें और इन कार्यों से बचें!
ऐसे ले सकते हैं गंगा-स्नान का लाभ
* माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान वाले जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं. माँ गंगा का आह्वान मंत्र पढ़ें, और हर-हर गंगे के उच्चारण के साथ स्नान करें, और सूर्य को जल अर्पित करें.
गंगा आह्वान मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु.
* आपके शहर में या आसपास अगर गंगा, यमुना, सिंधु, कावेरी एवं नर्मदा जैसी कोई पवित्र नदी है तो वहां भी उपयुक्त मंत्रोच्चारण के पश्चात गंगा जी का ध्यान कर स्नान कर सकते हैं. इस तरह भी आप गंगा-स्नान का पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं.
* अपने शहर के आसपास किसी सरोवर अथवा स्वच्छ कुओं के पास भी आप उपरोक्त मंत्रों के उच्चारण के साथ गंगा-स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे में स्नान के पश्चात शिव पुराण, भागवद् गीता अथवा श्रीरामचरितमानस जैसे ग्रंथों का पाठ अवश्य सुनना या वाचन करना चाहिए.
* आप कहीं भी स्नान करें, माँ गंगा का ध्यान करके ही स्नान करें, तथा स्नान के पश्चात गरीबों एवं जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन अथवा जरूरत की अन्य वस्तुओं का दान जरूर करें, वरना कोई भी स्नान संपूर्ण फल प्रदान नहीं करेगा.