पहले जहां हमारे देश में अधिकांश गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी नॉर्मल तरीके से होती थी, तो वहीं बदलते समय के साथ-साथ अब देश में सिजेरियन डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण तो यह है कि अपनी जेब भरने के लिए डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं, तो वहीं नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले असहनीय दर्द से बचने के लिए भी ज्यादातर महिलाएं बच्चे के जन्म के लिए सिजेरियन के विकल्प को चुनती हैं, लेकिन यह बच्चे और मां दोनों की सेहत के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है.
दरअसल, आज के इस डिजीटल दौर में ज्यादातर महिलाएं न सिर्फ सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, बल्कि वो अपने मां बनने के अनुभवों को भी इस प्लेटफॉर्म पर शेयर करती हैं. हालांकि मां बनने का अनुभव किसी महिला के लिए अच्छा हो सकता है तो किसी के लिए दुखदायी भी हो सकता है. हाल ही में हुए एक अध्यय में इस बात का खुलासा हुआ है कि आखिर क्यों महिलाएं नॉर्मल तरीके से बच्चे को जन्म देने के बजाय सिजेरियन डिलीवरी को विकल्प के तौर पर चुनती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ हुल की सीनियर शोधकर्ता Catriona Jones के मुताबिक, सोशल मीडिया पर बच्चों के जन्म से जुड़े जो डरावने अनुभव शेयर किए जा रहे हैं, उससे दूसरी महिलाओं के मन में बच्चे के जन्म को लेकर कई तरह के डर पैदा हो रहे हैं. महिलाओं के इस डर को टोकोफोबिया (Tocophobia) का नाम दिया गया है. इस शोधकर्ता की मानें तो गर्भावस्था के दौरान महिलाएं जब सोशल मीडिया पर बच्चे के जन्म से जुडी कहानियों को पढ़ती हैं तो वे तनावग्रस्त हो जाती है और डिलीवरी को लेकर उनकी चिंता बढ़ जाती है. आंकड़ों के अनुसार, करीब 14 फीसदी महिलाएं टोकोफोबिया यानी बच्चे के जन्म को लेकर डर से जूझ रही हैं.
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दरअसल, यूके की पैरेंटिंग वेबसाइट पर गर्भवती महिलाएं अपने मां बनने के अनुभवों को शेयर करती हैं, जो बेहद खौफनाक और डरावने होते हैं. पिछले साल हुई एक स्टडी के मुताबिक, साल 2000 से महिलाओं के डिलीवरी के खौफनाक अनुभवों को जानने के बाद दूसरी महिलाओं में डर तेजी से बढ़ रहा है और डिलीवरी को लेकर डर की वजह से कई महिलाएं हेल्दी होने के बावजूद बच्चों की डिलीवरी ऑपरेशन की मदद से करा रही हैं.