एचआईवी/एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिसका अब तक कोई कारगर इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी और दवाइयों की मदद से मरीज की जिंदगी कुछ सालों के लिए बढ़ जरूर सकती है, लेकिन यह आखिरी दम तक मरीज का साथ नहीं छोड़ती. हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एचआईवी अनुमान 2017 की रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 21.40 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हैं, जबकि महाराष्ट्र इस मामले में देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए टॉप पर जा पहुंचा है. जी हां, इस रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल एचआईवी मामलों में 15 फीसदी मामले सिर्फ महाराष्ट्र के हैं, जहां करीब 3.30 लाख लोग एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस से संक्रमित हैं.
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017 में करीब 69 हजार लोगों की मौत इस लाइलाज बीमारी के कारण हुई थी. इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र (3.30 लाख) के अलावा आंध्र प्रदेश (2.70 लाख), कर्नाटक (2.47 लाख) और तेलंगाना (2.04 लाख) में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है. वहीं वयस्कों में एचआईवी संक्रमण के मामले में मिज़ोरम दूसरे राज्यों से आगे है, जहां करीब 2.04 फीसदी वयस्क एचआईवी संक्रमित हैं. इसके मामले जम्मू कश्मीर में सबसे कम पाए गए हैं.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल करीब 22 हजार 675 एचआईवी पॉजिटीव महिलाओं को एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी देने की जरूरत पड़ी थी, ताकि उनके बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाया जा सके. इसके अलावा रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पिछले साल एचआईवी के लगभग 87.58 हज़ार नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा नए मामले तेलंगाना में पाए गए हैं. तेलंगाना में करीब 11 फीसदी यानी 9,324 एचआईवी संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं. इसके अलावा बिहार व पश्चिम बंगाल (10 फीसदी), उत्तर प्रदेश (8 फीसदी), आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र (7 फीसदी), कर्नाटक (6 फीसदी) और गुजरात में (5 फीसदी) एचआईवी संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं.
यह भी पढ़ें: हर हाल में करें ब्रेकफास्ट, नहीं तो हो सकते हैं इन 5 बीमारियों के शिकार
हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, मेघालय और उत्तराखंड में एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में काफी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस लाइलाज बीमारी से मरने वालों का आंकडा साल 2005 तक लगातार बढ़ता रहा और फिर इसमें गिरावट आने लगी और अब इस बीमारी से होनेवाली मौतों में करीब 71 फीसदी की कमी आई है.