विश्वभर में वायु प्रदुषण का प्रकोप बढता जा रहा है. हाल ही में हुए अध्ययन में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए है. आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लगातार जहरीली हवा के संपर्क में रहने से हार्ट अटैक, कैंसर और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दूषित वायु में सांस लेने के कारण दुनियाभर के लोगों की आयु घट रही है. विश्व की करीब 95% आबादी प्रदुषित हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है.
'ग्लोबल बरडन ऑफ डिजीज प्रोजेक्ट' के आंकड़ों में बताया गया है कि एशियाई और अफ्रीकी देशों में प्रदूषक तत्वों के कारण लोगों की जिंदगी एक साल तक घटती जा रही है. जबकि दक्षिण एशिया में खासकर भारत में लोगों की उम्र डेढ़ से पौने दो साल तक घट रही है. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी प्रकार के कैंसर से ज्यादा वायु प्रदूषण खतरनाक हो गया है.
इस साल मई में जारी हुए डब्लूएचओ ग्लोबल एंबिएंट एयर क्वालिटी डेटाबेस में बताया गया था कि प्रदूषक तत्वों के लिहाज से दुनिया के कुल 15 प्रदूषित शहरों में 14 शहर अकेले भारत में हैं. जिसमे सबसे पहला स्थान उत्तर प्रदेश का कानपुर है.
एक रिपोर्ट बताती है कि 2016 में वायु प्रदूषण ने दुनियाभर में तकरीबन 61 लाख लोगों की जिंदगिया छीन ली है. रिपोर्ट में एक और बात निकल कर सामने आई है की प्रदुषण का सबसे बुरा परिणाम गरीब जनता पर पड़ रहा है.
इसके आलावा रिपोर्ट ने कई देशो के लिए खतरे की घंटी भी बजायी है.
वायु प्रदूषण से कैसे बचें-
आप खुद को घर और आफिस दोनों जगहों पर वायु प्रदूषण से होने वाली परेशानियों से बचा सकते हैं
-प्रदूषण से बचने के लिए चेहरे पर एंटी पॉल्यूशन मास्क का इस्तेमाल करें
-सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें
-अपने घरों के आस-पास पेड़-पौधें लगाये
-जहरीली गैसों को कम करने के लिए कुछ पौधे बेहद काम आ सकते हैं. इन पौधों को एयर फिल्टरिंग प्लांट भी कहा जाता है. भारत में इस तरह के पौधों में एलो वेरा, लिली, स्नेक प्लांट (नाग पौधा), पाइन प्लांट (देवदार का पौधा) मनी प्लांट, अरीका पाम और इंग्लिश आइवी
-अपनी डाइट में ऐसे आहार शामिल करने की जरूरत है जो हमें प्रदूषण से बचाए रखेंगे क्योंकि --प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट आहार इस खतरनाक प्रदूषण से लड़ने में मददगार साबित होते है विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटिन व ओमेगा 3 फैट हमारे इम्युन सिस्टम को मजबूत करती हैं
-कूड़ा कर्कट को जलाएं नहीं
-सफाई के लिए झाड़ू की बजाए गीले पौंछे का इस्तेमाल करें ताकि धूल मिट्टी उड़ेगी नहीं
-धुल वाली जगहों पर पानी का हल्का छिड़काव करे ताकि धूल-मिट्टी ना उड़े.
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानकों के अनुसार पीएम 2.5 सूक्ष्म कणों की वायु में मौजूदगी 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आपको बता दें की दुनियाभर में वायु प्रदूषण ही मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण बन गया है.