Coronavirus Scare: दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आने करीब 8000 लोगों की मौत हो गई है, जबकि इससे संक्रमित लोगों का आंकड़ा 1 लाख 84 हजार के करीब पहुंच गया है. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus In India) के 148 मामलों की पुष्टि हुई है, जबकि तीन लोग इसके चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. चीन (China) के वुहान (Wuhan) से फैला कोरोना वायरस सबसे ज्यादा बुजुर्गों को अपना शिकार बना रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका ब्लड ग्रुप भी इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकता है. दरअसल, हाल ही में चीन में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए (Blood Group A) है, उन्हें कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में ज्यादा होता है, लेकिन जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ओ है, उनके लिए राहत की खबर है. शोध में बताया गया है कि ब्लड ग्रुप ओ (Blood Group O) वालों को दूसरों की तुलना में संक्रमित होने में ज्यादा समय लगता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रिसर्च चीन के ऐसे शहर में किया गया है जहां नोवेले कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप दिखा है. हाल ही में चीन के वुहान में किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है, जबकि ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वालों को देर से यह वायरस प्रभावित कर सकता है. यह भी पढ़ें: Coronavirus: ट्रंप ने ट्वीट में COVID-19 को बताया चीनी वायरस तो UNESCO ने कहा- इसका राष्ट्रीयता से कोई संबंध नहीं, जानें Spanish Flu, Japanese Encephalitis जैसे नामों के बारे में
दरअसल, शोध में 2173 लोगों पर रिसर्च किया गया, जिनमें से 206 लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस की वजह से 206 मौतों में 85 लोगों का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था, वहीं 52 लोगों का ब्लड ग्रुप ओ था. शोध में शामिल लोगों में ब्लड ग्रुप ए वाले लोग (32 फीसदी) ज्यादा संक्रमित भी थे, जबकि 25 फीसदी ओ ब्लड ग्रुप वाले शामिल थे. इस रिसर्च को ब्रिटिश अखबार डेली मेल में प्रकाशित किया गया है.
गौरतलब है कि इस रिसर्च के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्लड ग्रुप ओ वालों में कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना सबसे कम थी और ब्लड ग्रुप ए वालों में इससे संक्रमण की संभावना सबसे ज्यादा पाई गई. वहीं दूसरी तरफ शोधकर्ताओं को यह भी कहना है कि जब सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण फैला था, तब भी ओ ब्लड ग्रुप वालों में इसका खतरा कम पाया गया था.