भारत में स्वाइन फ्लू (swine flu virus) के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. 3 मार्च 2019 तक एच1एन1 वायरस (H1N1 Virus) से 530 मरीजों की मौत और 17,366 लोगों के संक्रमित होने के मामले दर्ज किए गए हैं. यह तेजी से फैलने वाली एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जो लार या बलगम के माध्यम से दूसरों तक फैलती है. दरअसल, जब एक स्वाइन फ्लू (Swine Flu) का मरीज छींकता है तो उसके आसपास 3 फीट की दूर तक खड़े व्यक्ति के शरीर में इसके वायरस प्रवेश कर सकते हैं और उसे यह संक्रमण हो सकता है. ऐसे में आपकी जरा सी लापरवाही और जागरूकता की कमी आपको इस बीमारी का शिकार बना सकती है.
दरअसल, स्वाइन फ्लू से लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन इन दिनों इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप पर स्वाइन फ्लू के वायरस का सफाया करने का दावा करने वाला एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. होलिका दहन से कुछ दिन पहले वॉट्सऐप (WhatsApp) पर वायरल होते इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि होलिका दहन की अग्नि में कपूर (Camphor) और हरी इलायची (Cardamom) जलाने से वातावरण में मौजूद एच1एन1 वायरस का पूरी तरह से खात्मा होता है. इस तरह का मैसेज आमतौर पर परिवार के वॉट्सऐप ग्रुप में दिखाई देता है और इस तरह के मैसेज को तेजी से दूसरे ग्रुप में फॉरवर्ड किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: देशभर में बढ़ रहा है स्वाइन फ्लू का प्रकोप, अगर आप में दिखे ये 7 लक्षण तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास
वायरल हो रहा है यह मैसेज
"सभी से निवेदन है कि जब आप होलिका दहन में जाएं तो कपूर और छोटी इलायची साथ में जलाएं, क्योंकि कपूर और छोटी इलायची की खुशबू से स्वाइन फ्लू का वायरस मर जाता है. होली पूरे देश में मनाई जाती है. एक साथ पूरे देश में इतना कपूर व छोटी इलायची जलाने पर स्वाइन फ्लू का 70 फीसदी वायरस हवा में ही समाप्त हो जाएगा. इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और देश को स्वाइन फ्लू से बचाएं."
इस मैसेज में कहा गया है कि होलिका दहन की अग्नि में कपूर और हरी इलायची जलाना स्वाइन फ्लू के वायरस के खिलाफ प्रभावी होगा. दरअसल, यह मैसेज साल 2015 में वॉट्सऐप पर उस वक्त सामने आया था, जब देश में स्वाइन फ्लू ने 1,000 लोगों की जान ले ली थी.
क्या है इस मैसेज की सच्चाई?
क्या सच में कपूर और इलायची में स्वाइन फ्लू के वायरस को मारने वाले एंटीवायरल गुण (antiviral properties) पाए जाते हैं? दरअसल, कपूर एक ऑर्गेनिक कंपाउंड (organic compound) है और इसके एनाल्जेसिक गुणों (analgesic qualities) की वजह से इसका उपयोग मलहम व बाम में किया जाता है. अध्ययनों में भी यह बताया गया है कि कपूर में रोगाणुरोधी गुण (antimicrobial qualities) पाए जाते हैं. साल 2010 में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि कपूर युक्त मलहम का इस्तेमाल Toenail Fungus के इलाज के लिए किया जा सकता है.
बायोऑर्गेनिक और मेडिकल केमेस्ट्री में साल 2014 में प्रकाशित हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कपूर एन्फ्लूएंजा वायरस के प्रजनन (influenza virus reproduction) को रोक सकता है और इस वायरस के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकता है. हालांकि यह पता लगाने वाले किसी तरीके का पता नहीं चल सका है कि क्या वास्तव में कपूर एच1एन1 वायरस को मारने में कारगर है?
वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेद के अनुसार, छोटी इलायची में एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल खांसी-सर्दी जैसी वायरल बीमारियों के इलाज में किया जाता है, लेकिन पुख्ता तौर पर इस बात का दावा नहीं किया जा सकता है कि छोटी इलायची स्वाइन फ्लू के वायरस को मार सकती है. यह भी पढ़ें: राजस्थान में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का प्रकोप: इस साल छीनी 127 लोगों की जिंदगियां, 3500 से ज्यादा केस पॉजिटिव
इन बातों का रखें ख्याल
होली की अग्नि में कपूर और इलायची जलाने से कोई नुकसान तो नहीं होता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह एच1एन1 वायरस को मारने में कारगर है. नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (National Centre for Disease Control) के अनुसार, स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आपको इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए.
- खांसते समय अपने नाक और मुंह को ढकें.
- अपने हाथों को नियमित तौर पर अच्छे से धोएं.
- अपने नाक और मुंह को बार-बार छुने से बचें.
- तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें.
- खुद से नहीं, डॉक्टर से अपना इलाज कराएं.
- हाथ मिलाने से परहेज करना चाहिए.
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
बता दें कि सावधानी बरतकर इस बीमारी के संक्रमण से बचना मुमकिन है. लेकिन गर्भवती महिलाओं, शिशुओं, वरिष्ठ नागरिकों, जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई है और जो लंबे समय से दवाइयों का सेवन कर रहे हैं ऐसे लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा आम लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है.
नोट- इस लेख में दी गई सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसे किसी बीमारी के इलाज या फिर चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए और लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे, इसका हम कोई दावा नहीं करते हैं, इसलिए लेख में दिए गए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.