देशभर में बढ़ रहा है स्वाइन फ्लू का प्रकोप, अगर आप में दिखे ये 7 लक्षण तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास
स्वाइन फ्लू (Photo Credits: Instagram)

भारत में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. ताजा आंकड़ों के अनुसार नये साल के इस पहले महीने के अंतिम सप्ताह तक ही देश भर के विभिन्न अस्पतालों से स्वाइन फ्लू के लगभग 2777 से ज्यादा मामले आये हैं, जिसमें करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है. यूं तो स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में पाये गये, लेकिन   देश की राजधानी दिल्ली व एनसीआर भी इस संक्रामक बीमारी की दहशत में है. हाल ही में पूर्व केंद्रीय रक्षामंत्री जार्ज फर्ना़डिस की मृत्यु स्वाइन फ्लू से मृत्यु हुई तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी स्वाइन फ्लू के चपेट में आये.

दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल के मेडिकल सेल से जुड़े अनुभवी चिकित्सक जीतेंद्र सिंह बताते हैं, स्वाइन फ्लू वस्तुतः संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर सूअरों से मनुष्यों में फैलता था. लेकिन अब यह बीमारी मनुष्यों से मनुष्यों में फ़ैल रही है. डॉक्टर जीतेंद्र सिंह के अनुसार स्वाइन फ्लू के लक्षण यूं तो आम फ्लू के लक्षणों की तरह ही होते हैं, लेकिन तेज ठंड के साथ बुखार, गले में खरास, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, असहनीय सिर दर्द और अत्यधिक कमजोरी जैसे 7 लक्षण दिखें, तो बिना विलंब किये किसी विशेषज्ञ को दिखाएं और आवश्यक जांच करायें.

स्वाइन फ्लू दरअसल सांस से संबंधित बीमारी है. इसलिए स्वाइन फ्लू के संभावित व्यक्ति को सर्वप्रथम तेज जुकाम होता है, जुकाम के साथ ही वह तेज  बुखार से ग्रस्त होने लगता है. धीरे-धीरे उसकी भूख खत्म होने लगती है. शीघ्र ही उसमें जी मचलाने अथवा उल्टी के लक्षण दिखने लगते हैं, सीने में जलन और कभी-कभी मरीज सूजन की शिकायत भी करता है. ये लक्षण मरीज को स्वाइन फ्लू से ग्रस्त होने का स्पष्ट संकेत होता है. ऐसी स्थिति में मरीज का 24 से 72 घंटे के भीतर इलाज शुरू करवा देना चाहिए. वर्ना यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.

चूंकि यह संक्रामक बीमारी होती है, और साथ रहने वालों को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है, इसलिए जितनी जल्दी हो मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाकर किसी योग्य चिकित्सक उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए.

स्वाइन फ्लू के शिकार छोटे बच्चों, गर्भवती स्त्रियों, मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज, ह्दय रोगी आदि में अपेक्षाकृत ज्यादा होते है. क्‍योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता आम लोगों की तुलना में प्राय कमजोर होती है. यहां एक बार फिर बता दूं कि यह घातक बीमारी होती है. अगर इसका शीघ्र उपचार नहीं किया जाये तो मरीज की मृत्‍यु हो सकती है.