कथाओं के अनुसार इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों एवं मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था. उसी दिन से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरू-शिष्य
के इस परंपरागत पर्व को मनाया जा रहा है. इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई 2024 को मनाया जायेगा. इस अवसर पर शिष्य अपने गुरु को सम्मानित करते हैं. अगर आप भी इस अवसर को सेलिब्रेट करना
चाहते हैं, तो इस अवसर पर अपने गुरू को महान संत-महात्माओं एवं विशिष्ठ शख्सियतों के लिखे अनमोल विचार भेजकर उनका यथोचित सम्मान कर सकते हैं. यहां कुछ ऐसे ही विचार दिये जा रहे हैं.
गुरू पूर्णिमा के अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण कोट्स:
‘गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः‘ -मुंडक उपनिषद्
‘गुरु के समान नहीं जग में, गुरु बिनु दीजै डोर।
गुरु के समान नहीं जग में, देव बिनु जानै कोई और॥’ - सूरदास
‘जहां शिक्षा का अंत होता है, वहीं से ज्ञान का आरंभ होता है.’ - रवींद्रनाथ टैगोर
‘गुरु के बिना सब संसार अँधेरा। गुरु के बिना कछु ना जाने अज्ञान धेरा॥’ -संत नामदेव
‘गुरु का माना, गुरु का विश्वास, गुरु का सब कुछ गुरु के बिना नहीं।’ – संत गोस्वामी तुलसीदास
‘एक शिक्षक केवल ज्ञान का प्रदाता नहीं है, वह मनुष्य का भी निर्माता है.’ -महात्मा गांधी
‘गुरु वह है जो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है, जो आपको अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है.’ -स्वामी विवेकानंद
‘यदि आप किसी ऐसे गुरु को ढूंढते हैं जो दयालु और ज्ञानी हो, तो उनके चरणों में नम्रता से झुकें और उनसे सीखें’ –दलाई लामा
‘एक शिक्षक वह होता है जो एक खाली दिमाग को विचारों से भर देता है, एक बंद दिल को प्यार से खोल देता है और एक अंधेरे जीवन को ज्ञान से प्रकाशित कर देता है.’
-ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
‘गुरु वह दीपक है जो आत्मा तक जाने का मार्ग रोशन करता है.’ -परमहंस योगानन्द
‘गुरु कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि चेतना की एक अवस्था है.’ –श्री श्री रविशंकर
गुरू ही हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के उजाले ले जाते हैं -गुरूनानक