When Is Mahaparinirvan Din 2024: भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाने जाने वाले डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर (Dr. Baba Saheb Ambedkar) का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. हर साल बाबा साहेब की पुण्य तिथि के इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Din) के रूप में मनाया जाता है. अंबेडकर ने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में मदद की और देश के पहले कानून और न्याय मंत्री बने. 14 अक्टूबर 1956 को अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अपने लगभग 5 लाख अनुयायियों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर लिया. उसी वर्ष 6 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई. यह भी पढ़ें: Kharmas 2024: कब शुरू हो रहा है खरमास! इस माह क्यों नहीं होते शुभ कार्य, साथ ही जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा!
संविधान निर्माता डाॅ. 6 दिसंबर को भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर लोग उनकी प्रतिमा पर माला चढ़ाते हैं और दीपक और मोमबत्तियां जलाते हैं. इस मौके पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी गई. दादर के चैत्यभूमि में बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए भीड़ जुटती है. इस दिन बौद्ध भिक्षुओं सहित कई लोग पवित्र गीत गाते हैं और बाबासाहेब का उद्घोष करते हैं.
इस दिन का महत्व:
इस मौके पर देशभर से लाखों की संख्या में बाबा साहेब के अनुयायी जुटते हैं. यह बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने का दिन है. महापरिनिर्वाण एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ मुक्ति है. बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों एवं लक्ष्यों में से एक. इसका अर्थ है 'मृत्यु के बाद निर्वाण' बौद्ध धर्म के अनुसार, जो निर्वाण प्राप्त करता है वह सांसारिक इच्छाओं और जीवन के कष्टों से मुक्त हो जाएगा और जीवन के चक्र से मुक्त हो जाएगा यानी बार-बार जन्म नहीं लेगा.
परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु के बाद निर्वाण. परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों में से एक है. इसके अनुसार निर्वाण प्राप्त करने वाला व्यक्ति सांसारिक मोह-माया, इच्छाओं और जीवन के दुखों से मुक्त रहता है. साथ ही वह जीवन चक्र से मुक्त रहता है. लेकिन निर्वाण प्राप्त करना आसान नहीं है. इसके लिए व्यक्ति को सात्विक एवं धार्मिक जीवन जीना होगा. बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध की 80 वर्ष की आयु में मृत्यु को महापरिनिर्वाण कहा जाता है.
अंबेडकर ने हमेशा दलितों की स्थिति को सुधारने के लिए काम किया. माना जाता है कि छुआछूत जैसी कुरीतियों को ख़त्म करने में भी उनकी प्रमुख भूमिका रही है. उनके अनुयायियों का मानना है कि वह भगवान बुद्ध की तरह अत्यधिक प्रभावी और गुणी गुरु थे और उन्होंने अपने कार्यों के कारण निर्वाण प्राप्त किया. इसीलिए उनकी पुण्य तिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.