Vinayak Damodar Savarkar Jayanti 2019: हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक होने के बावजूद वीर सावरकर ने गौ पूजन को बताया था अंधविश्वास, जानें उनसे जुड़ी 10 रोचक बातें
विनायक दामोदर सावरकर जयंती 2019 (Photo Credits: Facebook)

Vinayak Damodar Savarkar Birth Anniversary 2019: विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े उन लोगों में से एक रहे हैं जिनके बारे में कई अलग-अलग तरह के मिथक गढ़े गए हैं. कभी माफीनामे को लेकर तो कभी उनके क्रांतिकारी फैसलों को लेकर वीर सावरकर से हमेशा ही कोई न कोई विवाद जुड़ा रहा. एक कट्टर हिंदू होने के बावजूद भी उन्होंने गौ पूजन (Cow Puja) को अंधविश्वास करार दिया. आज स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है. उनका जन्म 28 मई 1883 को हुआ था. वीर सावरकर ने हिंदू धर्म और हिंदू आस्था से परे राजनीतिक हिंदुत्व की स्थापना की.

आलम तो यह है कि संघ से जुड़ा एक तबका उन्हें वीर सावरकर कहता है तो वहीं दूसरा तबका उनकी वीरता पर सवाल उठाता है. चलिए विनायक दामोदर सावरकर जंयती (Vinayak Damodar Savarkar Jayanti 2019) के इस खास मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी 10 रोचक बातें.

वीर सावरकर से जुड़ी 10 रोचक बातें-

1- 28 मई 1883 को जन्में वीर सावरकर ने नासिक के शिवाजी हाईस्कूल से साल 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. वो बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई के मामले में काफी तेज थे और बचपन में उन्होंने कई कविताएं भी लिखी थीं. यह भी पढ़ें: Jawaharlal Nehru Death Anniversary 2019: लाल किले पर तिरंगा फहराने वाले पहले शख्स थे पंडित जवाहर लाल नेहरू, जानें उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से

2- सावरकर न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ थे, बल्कि उन्होंने अंग्रेजों के साथ-साथ विदेशों से आई वस्तुओं का भी जमकर विरोध जताया. उन्होंने साल 1905 में दशहरा के दिन विदेश से आई सभी वस्तुओं और कपड़ों को जलाना शुरू कर दिया.

3- समय-समय पर विवादों में घिरे रहने वाले सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे, लेकिन वो जाति व्यवस्था का खुलकर विरोध भी जताते थे. हिंदू धर्म के समर्थक होने के बावजूद वे गाय की पूजा का विरोध करते थे और गौ पूजन को उन्होंने अंधविश्वास करार दिया था.

4- साल 1857 की क्रांति पर वीर सावरकर ने 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेस' नामक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने गोरिल्ला युद्द नीति का उल्लेख किया, लेकिन इस किताब को ब्रिटिश एम्पायर ने प्रकाशित नहीं होने दिया. हालांकि मैडम बिकाजी कामा ने इसे प्रकाशित कर दिया और इसकी प्रतियां नीदरलैंड, जर्मन व फ्रांस में बांटी गईं.

5- सावरकर को जुलाई 1911 में 50 साल की काला पानी की सजा सुनाई गई. कहा जाता है कि बाद में माफी मांगने और इंडियन नेशनल कांग्रेस द्वारा दबाव डाले जाने के बाद उन्हें सेलुलर जेल भेज दिया गया और जल्द ही उनकी सजा भी माफ कर दी गई.

6- सावरकर को साल 1937 में हिंदू महासभा का अध्यक्ष बनाया गया, जिसके बाद साल 1943 तक वो इस पद पर बने रहे. उन्होंने हिंदू धर्म की खासियत पर जोर दिया, जो आगे चलकर सामाजिक, राजनीतिक साम्यवाद से जुड़ा.

7- कहा जाता है कि महात्मा गांधी की हत्या में जिन 8 लोगों पर आरोप लगे, उनमें सावरकर का नाम भी शामिल था. हालांकि उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया. इसके अलावा उन पर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या की कोशिश का भी आरोप लगा था.

8- ऐसा कहा जाता है कि सावरकर की महात्मा गांधी से नहीं बनती थी, इसलिए उन्होंने गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया. बताया जाता है कि ऐसा करके वो अंग्रेजों का भरोसा जितना चाहते थे और उनकी मदद से हिंदू प्रांतों का सैन्यकरण करना चाहते थे. यह भी पढ़ें: वीर सावरकर पुण्यतिथि: स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी

9- सावरकर पर आजादी के आंदोलन के समय टू नेशन थ्योरी के समर्थन का आरोप भी लगा था. शम्सुल इस्लाम की किताब के अनुसार, सावरकर ने यह बात 30 दिसंबर 1937 को हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन में कही थी. फिर अगस्त 1943 को नागपुर में अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था कि मिस्टर जिन्ना की टू नेशन थ्योरी से मेरा कोई झगड़ा नहीं है.

10- साल 1966 में सावरकर ने आमरण अनशन किया. इस अनशन के दौरान उन्होंने मृत्यु पर्यंत अन्न-जल का त्याग कर दिया था. उनका निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था.

गौरतलब है कि सावरकर पर साल 1909 में पहली बार हत्या का आरोप लगा था. मदनलाल ढींगरा ने सर विलियम कर्जन वाइली की लंदन में हत्या कर दी थी, जिसके लिए उन्हें फांसी हुई. हालांकि सावरकर पर आरोप तय नहीं हो पाया था.