Vinayak Chaturthi 2024: फाल्गुन विनायक चतुर्थी व्रत-पूजा से दूर होते हैं संतान के संकट? जानें इसका महत्व एवं पूजा-विधि!
Vinayak Chaturthi 2024 (File Photo)

Vinayak Chaturthi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. यह दिन भगवान गणेश जी समर्पित होता है. विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश के सिद्धि विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है, मान्यता है कि ऐसा करने संतान संबंधी समस्याओं का निराकरण होता है. भगवान गणेश के आशीर्वाद से घर में सुख, समृद्धि आती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन गणेश चतुर्थी 13 मार्च 2024, बुधवार को मनाई जाएगी. विनायक चतुर्थी की पूजा दिन में होती है. आइये जानते हैं फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी के व्रत का महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि आदि के बारे में विस्तार से. यह भी पढ़े: Magh Vinayak Chaturthi 2024: माघ विनायक चतुर्थी पर ये शक्तिशाली मंत्र आपकी इच्छित कामनाएं पूरी कर सकती हैं! जानें महात्म्य एवं पूजा-विधि!

विनायक चतुर्थी महत्व

सनातन धर्म में साल के सभी विनायक चतुर्थी का अलग-अलग महत्व होता है. फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी के सिद्धी विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, जो भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जो लोग नियमित रूप से विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं विनायक चतुर्थी पर सिद्धि विनायक रूप की पूजा करने से संतान संबंधी हर समस्या का समाधान हो जाता है.

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 04.03 AM (13 मार्च 2024 दिन बुधवार)

फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 01.25 AM (14 मार्च 2024 दिन गुरूवार)

उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन विनायक चतुर्थी का व्रत एवं पूजा 13 मार्च 2024 को रखा जाएगा.

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्तः 11.19 AM से 01.42 PM

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विनायक चतुर्थी की शुरूआत अश्विनी नक्षत्र में होगी.

फाल्गुन मास विनायक चतुर्थी पूजा-विधि

फाल्गुन विनायक चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, और विनायक चतुर्थी की पूजा एवं व्रत का संकल्प लें. अब पूजा के शुभ मुहूर्त के अनुसार एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर गंगाजल छिड़कें औऱ गणेश जी के सिद्धी विनायक स्वरूप की प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें नया वस्त्र पहनाएं. धूप दीप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र का जाप करें.

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

भगवान गणेशजी को दूर्वा की 21 गांठे, जनेऊ, लाल गुड़हल का फूल, पीला चंदन, अक्षत, शमी का पत्ता, रोली, सिंदूर अर्पित करें. भोग में फल एवं मोदक अथवा लड्डू चढ़ाएं. गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं. इस दिन गणेश जी का विधि-विधान से पूजा करने से जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं, तथा संतान स्वस्थ एवं दीर्घायु होती है. पूजा के अंत में गणेश जी की आरती उतारें