Vat Savitri Vrat 2021 Messages in Hindi: वैसे तो साल भर में सुहागन महिलाएं (Married Women) अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए कई व्रत करती हैं. इन व्रतों में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाए जाने वाले वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से व्रत रखती हैं, इसके साथ ही वट वृक्ष (Banyan Tree) की पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं. आज (10 जून 2021) सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत का पर्व मना रही हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, बुधवार को 1.58 बजे के बाद से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो गई, जो आज (गुरुवार) शाम 04.22 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि होने के कारण आज ही व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करना उत्तम माना गया है.
वट सावित्री व्रत के दिन जो सुहागन महिलाएं सच्चे मन से वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं, उनके जीवनसाथी की आयु लंबी होती है और सुखी-वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है. इस खास अवसर पर आप इन शानदार हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स और जीआईएफ इमेजेस को अपनी सखी-सहेलियों के साथ शेयर करके उन्हें हैप्पी वट सावित्री कह सकती हैं.
1- सुख-दुख में हम तुम,
हर पल साथ निभाएंगे,
एक जन्म नहीं सातों जन्म,
हम पति-पत्नी बन आएंगे.
हैप्पी वट सावित्री
2- बिना खाए पिए व्रत करना,
प्रेम की अटूट परिभाषा है,
हम यूं ही प्रेम बंधन में बंधे रहें,
मेरे दिल की बस यही आशा है.
हैप्पी वट सावित्री
3- माथे की बिंदिया चमकती रहे,
हाथों में चूड़ियां खनकती रहे,
पैरों की पायल छनकती रहे,
पिया संग प्रेम बेला सजती रहे.
हैप्पी वट सावित्री
4- आपका साथ मुझे जीवनभर मिले,
हर सुख-दुख में आप सदा मेरे संग रहें.
हैप्पी वट सावित्री
5- एक फेरा स्वास्थ्य के लिए,
एक फेरा प्रेम के लिए,
एक फेरा दीर्घ आयु के लिए,
एक फेरा आपके और मेरे,
अटूट सुंदर संबंध के लिए.
हैप्पी वट सावित्री
वट सावित्री व्रत के दिन विवाहित महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथी सुनती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से वापस लेकर आई थीं. दरअसल, सावित्री के पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सौंपे थे, यमराज से मिले चने लेकर सावित्री सत्यवान के पास पहुंचीं, जिसके बाद सत्यवान में प्राण वापस आ गए और वो फिर से जीवित हो गए, इसलिए वट सावित्री के दिन चना पूजन भी किया जाता है और पूजन के बाद व्रत का पारण करते समय चने को बिना चबाए सीधे निकल लिया जाता है.