Shirdi Sai Baba Punyatithi 2019 Live Aarti: शिरडी के साईं बाबा (Shirdi Sai Baba Temple) मंदिर में रोजाना भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है. क्या अमीर, क्या गरीब हर कोई साईं बाबा के दरबार में श्रद्धापूर्वक शीश झुकाता है और अपने मुरादों की झोली भरकर वापस लौटता है. कहते हैं कि साईं बाबा (Sai Baba) के दरबार से कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता है, क्योंकि बाबा अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. शिरडी साईं बाबा ट्रस्ट (Shirdi Sai Baba Trust) द्वारा 7 अक्टूबर 2019 से साईं बाबा की 101वीं पुण्यतिथि (Sai Baba Punyatithi) मनाने के लिए चार दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा भक्त साईं बाबा के दर्शन के लिए उनके दरबार पहुंच रहे हैं, लेकिन अगर आप किसी वजह से शिरडी नहीं पहुंच पा रहे है और साईं बाबा की काकड़ आरती, दर्शन और कार्यक्रमों का लाभ पाना चाहते हैं तो यह मुमकिन है. जी हां, आप घर बैठे शिरडी के साईं बाबा मंदिर से लाइव टेलीकास्ट के जरिए साईं बाबा के दर्शन कर सकते हैं.
शिरडी के साईं बाबा मंदिर में काकड़ आरती हर रोज सुबह 4.30 बजे होती है. पुण्यतिथि उत्सव के दौरान काकड़ आरती में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. हालांकि लाइव टेलीकास्ट के जरिए आप न सिर्फ काकड़ आरती देख सकते हैं, बल्कि साईं बाबा के भजनों और उनकी प्रतिमा के पवित्र स्नान के साथ पुण्यतिथि उत्सव के सभी कार्यक्रमों के दर्शन का लाभ भी उठा सकते हैं. शिरडी से लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें.
शिरडी साईं बाबा पुण्यतिथि 2019 लाइव आरती-
एक फकीर और संत के रूप में पूजे जाने वाले साईं बाबा को भगवान दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है और उन्हें सगुण ब्रह्म कहा जाता है. बात करें साईं बाबा की पुण्यतिथि की तो हर साल उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न समारोह और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान दुनिया भर से लाखों भक्त शिरडी पहुंचते हैं. यह भी पढ़ें: Shirdi Sai Baba Punyatithi 2019: शिरडी के साईं बाबा की 101वीं पुण्यतिथि कब है, देखें 4 दिनों तक आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की पूरी लिस्ट
गौरतलब है कि इस साल साईं बाबा की पुण्यतिथि 7 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. साईं बाबा की 101वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूजा, भजन और सार्वजनिक पारायणी (भक्ति शास्त्रों का पाठ) का आयोजन किया जाएगा. समारोह में पालकी और रथ यात्रा भी निकाली जाएगी. इन चार दिनों में एक दिन समाधि मंदिर पूरी रात खुला रहता है और उस दौरान कव्वालियां और भजन गाए जाते हैं. श्रद्धा, सबुरी का पाठ पढ़ाने वाले और लोगों की सेवा करने वाले इस महान संत ने 15 अक्टूबर 1918 को समाधी ले ली थी.