Shirdi Sai Baba Punyatithi 2019 Date And Schedule: शिरडी (Shirdi) स्थित साईं बाबा (Sai Baba) के दरबार में रोजाना भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. क्या हिंदू, क्या मुसलमान? सभी धर्मों के लोग साईं बाबा (Shirdi Sai Baba) के दरबार में माथा टेकने के लिए आते हैं. हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों ही साईं बाबा के प्रति आस्था और विश्वास रखते हैं. यह भक्तों का अटूट विश्वास है कि श्रद्धा और सबुरी का पाठ पढ़ाने वाले साईं के दरबार से कोई भी निराश होकर नहीं लौटता है. साईं बाबा को भगवान दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है और उन्हें सगुण ब्रह्म कहा जाता है. बात करें साईं बाबा की पुण्यतिथि की तो हर साल उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न समारोह और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान दुनिया भर से लाखों भक्त शिरडी पहुंचते हैं.
इस साल शिरडी के साईं बाबा की 101वीं पुण्यतिथि (Shirdi Sai Baba Punyatithi) मनाई जाएगी, जिसकी शुरुआत 7 अक्टूबर 2019 से होगी और समापन 10 अक्टूबर 2019 को होगा. करीब चार दिनों तक शिरडी में साईं बाबा की पुण्यतिथि पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. अगर आप इस दौरान साईं बाबा के दरबार में जाने की सोच रहे हैं तो चलिए उससे पहले हम आपको बता देंते पुण्यतिथि पर आयोजित किए जाने वाले चार दिवसीय कार्यक्रमों की पूरी लिस्ट.
इन कार्यक्रमों का किया जाएगा आयोजन
साईं बाबा की 101वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूजा, भजन और सार्वजनिक पारायणी (भक्ति शास्त्रों का पाठ) का आयोजन किया जाएगा. समारोह में पालकी और रथ यात्रा भी निकाली जाएगी. इन चार दिनों में एक दिन समाधि मंदिर पूरी रात खुला रहता है और उस दौरान कव्वालियां और भजन गाए जाते हैं. गांव के अलग-अलग इलाकों में भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. साईं बाबा एक ऐसे संत थे जिन्होंने अपने किसी भी भक्त से कोई भेदभाव नहीं किया. जो भी उनकी शरण में आया उन्होंने हर किसी को अपनाया. उन्होंने दो समुदायों के बीच के मनमुटाव को दूर करने और सांप्रदायिक सद्बाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भी पढ़ें: साईं बाबा से जुड़ी अनोखी बातें, इसीलिए बाबा को प्रिय था कफनी (कुर्ता), चिमटा और चंदन
साईं बाबा पुण्यतिथि की सूची
7 अक्टूबर 2019- पालखी
8 अक्टूबर 2019- रथ
9 अक्टूबर 2019- तीसरे दिन का समारोह
10 अक्टूबर 2019- आखिरी दिवस की प्रार्थना
बताया जाता है कि साईं बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम परशुराम शुसारी और माता का नाम अनुसूया था, जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था. साईं बाबा 19वीं शताब्दी और 20 शताब्दी की शुरुआत में शिरडी और आसपास के क्षेत्रों में रहते थे. उन्होंने 15 अक्टूबर 1918 को समाधी ले ली.