Pensioners’ Day 2019: पेंशन संबंधी समस्याओं के निस्तारण का खास दिन है पेंशनर दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: PTI)

Pensioners' Day 2019: भारत में साल 1983 से हर साल 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस (Pensioners Day) मनाया जाता है. दरअसल, भारत में पेंशन प्रणाली (Pension System in India) साल 1857 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाई गई थी. ब्रिटिश सरकार की यह योजना ब्रिटेन की प्रचलित पेंशन प्रणाली के समान थी. ज्ञात हो कि पेंशन एक तरह का रिटायरमेंट प्लान है, जिसमें कर्मचारियों के नौकरी करने के दौरान धनराशि जोड़ी जाती है और रिटायरमेंट (Retirement) के बाद उन्हें हर महीने पेंशन के तौर पर राशि का भुगतान किया जाता है. हालांकि सेवानिवृत्ति यानी रियायरमेंट के बाद अधिकांश कर्मचारियों को अपना पेंशन प्राप्त करने में कई समस्याएं आती हैं और उन्हें पेंशन के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. पेंशनर्स की उन समस्याओं के निराकरण के उद्देश्य से ही पेंशनर दिवस मनाया जाता है.

दरअसल, पेंशन प्रणाली को साल 1871 को भारतीय पेंशन अधिनियम द्वारा अंतिम रूप दिया गया था. हालांकि उस दौरान गवर्नरों और वाइसरॉय को पेंशन देने के अधिकार दिए गए थे. इस तरह से पेंशनर्स गवर्नरों और वाइसरॉय की दया पर थे. भले ही पेंशन लाभ सरकार द्वारा प्रदान किए गए थे, लेकिन उन्हें 1 जनवरी 1922 से प्रभावी मूलभूत नियमों में शामिल नहीं किया गया था.

बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन वित्त अधिकारी डीएस नाकारा (DS Nakara) साल 1972 में रिटायर हुए थे और उन्हें दूसरे पेंशनरों की तरह ही अपना पेंशन प्राप्त करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. आखिरकर 17 दिसंबर 1982 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया. यह भी पढ़ें: अटल पेंशन स्कीम में निवेश करने वाले लोगों को मिल सकती है बड़ी सौगात, मोदी सरकार बना रही है ये प्लान

भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दिवंगत जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ ने फैसला पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि पेंशन न तो नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है, न ही यह अनुग्रह का विषय है और न ही पूर्व भुगतान का. पेंशन तो सेवानिवृत्त कर्मचारी को उसके द्वारा प्रदान की गई पिछली सेवाओं का भुगतान है. यह एक सामाजिक कल्याणकारी न्याय है जो अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के लिए इस आश्वासन पर काम करते रहे कि वे वृद्धावस्था में उन्हें आर्थिक तौर पर असहाय नहीं होने देंगे.

गौरतलब है कि 17 दिसंबर 1982 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेंशनर्स के पक्ष में सुनाए गए इस फैसले के तीन दशक बाद भी पेंशनरों की हालत में कुछ ज्यादा सुधार नहीं आया है. आज भी पेंशनरों को अपनी पेंशन पाने के लिए कई दिक्कतों का सामना करना ही पड़ता है. ऐसे में पेंशनर दिवस लोगों को यह बताता है कि पेंशनर न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.