Makar Sankranti 2023: अगर आप हिंदू संस्कृति से परिचित हैं तो यह बात अच्छी तरह जानते होंगे कि काला रंग अशुभ माना जाता है. फिर चाहे वह शादी हो या कोई आध्यात्मिक कर्मकाण्ड. ऐसे में सवाल उठता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर काले रंग (Black Clothes) का वस्त्र क्यों पहनते हैं? आइये जानते हैं.
मकर संक्रांति को फसलों के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन लोग गंगा-स्नान के बाद खिचड़ी दान करने, तिल-गुड़ का लड्डू एवं खिचड़ी खाकर आकाश में पतंग उड़ाते हुए पर्व को सेलिब्रेट करते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. लेकिन आप जानकर हैरान रह सकते हैं कि इस पर्व पर काला वस्त्र पहने का विशेष विधान है, जबकि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा-पाठ अथवा शादी-ब्याह में काला वस्त्र पहनना अथवा काली वस्तु धारण करना अशुभ माना जाता है. आखिर क्यों लोग इस दिन काला वस्त्र पहनना शुभ मानते हैं? आइये जानने की कोशिश करते हैं.
क्यों पहनते हैं लोग मकर संक्रांति पर काले वस्त्र?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन से ही क्रमशः शीत ऋतु खत्म होने लगता है, और शरद ऋतु की शुरुआत होने लगती है. चूंकि यह पर्व सर्दी की समाप्ति का भी उत्सव है, इसलिए इस दिन लोग खुद को गर्म रखने के लिए काले रंग का वस्त्र पहनते थे, क्योंकि वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार काला रंग गर्मी को सोख लेता है और शरीर की गर्मी को मेंटेन रखता है, इसलिए इस दिन लोग काले रंग का वस्त्र पहनते थे, ताकि वह स्वयं को सर्द हवाओं से बचाते हुए इस पर्व को खुशी खुशी के साथ मना सकें. वहीं एक अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काला रंग भगवान शनि का प्रिय रंग बताया जाता है, लोग मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव के साथ शनिदेव की भी पूजा करते हैं, क्योंकि किंवदंतियों के अनुसार इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने जाते हैं, इसीलिए लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले रंग का वस्त्र पहनते है. यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2023 Dos For Good Luck: तिल, खिचड़ी से लेकर गुप्त लक्ष्मी का दान! आपके लिए बन सकता है ईश्वर का वरदान!
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के लोग देश के बाकी हिस्सों की तुलना में इस नियम का ज्यादा सख्ती से पालन करते हैं. कहा जाता है कि भारत का हर पर्व उस मौसम से गहरा संबंध रखता है, जिस मौसम में वह मनाया जाता है, अलबत्ता इनके नाम अवश्य अलग-अलग होते हैं. मसलन उत्तर भारत में मकर संक्रांति (खिचड़ी), पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी, तमिल समेत दक्षिण के अन्य प्रदेशों में पोंगल, असम में बिहू इत्यादि. नाम भले ही अलग हो, किंतु इसे सेलिब्रेट करने का तरीका कमोबेस एक जैसा ही होता है. संक्षिप्त में बता दें कि यह खुशियों का पर्व और इस दिन लोग नये कपड़े पहनते हैं, घरों में विभिन्न किस्म के पकवान बनाये जाते हैं और पतंग उड़ाए जाते हैं.