हर पर्व की अपनी विशेषता एवं महत्व होता है. जहां तक मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की बात है, तो यह पर्व स्नान-दान के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. इसलिए इस दिन अधिकांश लोग गरीबों एवं जरूरतमंदों को उनके काम की चीजें दान करते है, और पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं. यहां तिल से लेकर खिचड़ी तक कुछ ऐसी वस्तुओं का उल्लेख कर रहे हैं, जिसमें से किसी एक चीज का दान मकर संक्रांति के दिन स्नान के पश्चात हर व्यक्ति को करना चाहिए, तभी इस पर्व की पूर्णता होती है.
मकर संक्रांति सूर्य देवता को समर्पित हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे प्रत्येक वर्ष 14 अथवा 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व हिंदू संस्कृति का एक बेहद पवित्र एवं शुभ दिन माना जाता है, जिसे विभिन्न नामों एवं परंपराओं के साथ पूरे देश में मनाया जाता है. इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है गरीबों और जरूरतमंदों को उनके काम की चीजें दान कर उनकी मदद करना. इसीलिए इस दिन स्नान-ध्यान के पश्चात इस परंपरा को बड़े सात्विक मन से मनाया जाता है.
यहां कुछ ऐसी ही वस्तुओं का उल्लेख किया जा रहा है, जिसे आमतौर पर मकर संक्रांति के दिन दान करना चाहिए.
गरम कपड़े एवं कंबल का दान!
मान्यता है कि गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए उपयोगी वस्तु का दान करने से अक्षुण्ण पुण्य की प्राप्ति होती है. शीत ऋतु के इस पर्व मकर संक्रांति पर कंबल का दान बहुत शुभ माना जाता है. कोशिश करें कि ठिठुरती सर्दी में किसी एक या कई गरीबों को अपनी सामर्थ्य अनुसार कंबल दान अवश्य करना चाहिए. इससे आप राहु के अशुभ प्रभाव से भी दूर रहते हैं.
तिल का दान!
बहुत सी जगहों पर मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में तिल को बहुत पवित्र माना जाता है. इस दिन तिल का दान करना तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही तिल से भगवान विष्णु, सूर्य एवं शनि देव की पूजा भी की जाती है. कुछ लोग तिल-गुड़ तो कुछ लोग तिल-चावल का दान करते हैं.
गुड़-तिल के साथ गुप्त लक्ष्मी का दान!
गुड़ का दान अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है. इसके लिए बहुत से लोग तिल और गुड़ का लड्डू बनाते समय इसके भीतर एक या दो सिक्के रख देते हैं. इसे गुप्त लक्ष्मी दान कहा जाता है. ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
खिचड़ी का दान!
मकर संक्रांति के दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात ब्राह्मणों अथवा गरीबों को खिचड़ी का दान करना पुरानी प्रथा है. इसीलिए मकर संक्रांति को उत्तर भारत में खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है. चावल-उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी के साथ तिल का लड्डू दान किया जाता है.
खुशियों का प्रतीक पतंग का दान!
मकर संक्रांति के दिन देश भर में रंग-बिरंगी एवं विभिन्न डिजाइनों वाली पतंगें उड़ाने की भी पुरानी परंपरा है. रंग-बिरंगे पतंग खुशियों के प्रतीक माने जाते हैं, इसलिए मकर संक्रांति पर बहुत सारे लोग पतंग बांटते हैं. पतंग बांटने का आशय खुशियां बांटने से है.
शुभ होता है फलों का दान!
मकर संक्रांति के दिन बहुत सी जगहों पर फलों का दान भी किया जाता है. फल सेहत और शुभता का प्रतीक होते हैं. इसे दान देने का आशय आप अपने साथ दूसरों की भी सेहत और शुभता को आवश्यक मानते हैं. इसलिए अगर आपमें सामर्थ्य है तो इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को फलों का दान भी अवश्य करें.