Kamika Ekadashi 2021: हिंदी कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं. इस दिन पूरे समय व्रत रखते हुए शुभ मुहूर्त में श्रीहरि की पूजा-अनुष्ठान करते हैं. कुछ लोग भ्रमित हैं कि चातुर्मास में श्रीहरि के योग-निद्रा में जाने के कारण उनकी पूजा नहीं करते हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रीहरि के योग-निद्रा में भी उनकी पूजा-अनुष्ठान पूरी तरह फलदायी होती है. अलबत्ता इस बात का ध्यान रहे यह पूजा शुभ मुहूर्त के अनुरूप ही होनी चाहिए और पूजा के समय श्रीहरि के साथ लक्ष्मी जी की भी प्रतिमा की पूजा की जानी चाहिए. आइये जानते हैं इस व्रत एवं पूजा का महात्म्य, मुहूर्त एवं पारण समय. यह भी पढ़ें: Kamika Ekadashi 2021 Wishes & HD Images: हैप्पी कामिका एकादशी! भेजें ये मनमोहक WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Greetings और वॉलपेपर्स
कामिका एकादशी का महाम्य
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन कामिका एकादशी का व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. कामिका एकादशी में दिन भर व्रत रखते हुए भगवान विष्णु एवं उनकी पत्नी माता लक्ष्मी की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत 4 अगस्त 2021 बुधवार के दिन मनाई जाएगी. मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, उसके समस्त पापों का नाश होता है और अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कामिका एकादशी व्रत 4 अगस्त 2021 (बुधवार) शुभ मुहूर्त
एकादशी प्रारंभः दोपहर 12.59 बजे (अगस्त 03, 2021)
एकादशी समाप्तः शाम 03.17 बजे (अगस्त 04, 2021)
पारण तिथि और समयः प्रातः 05.45 बजे से दिन 08.26 बजे (05 अगस्त, 2021)
उदया तिथि के अनुसार 2021 की कामिका एकादशी का व्रत दिन बुधवार, 4 अगस्त को रखा जायेगा.
पंचांग के अनुसार कार्तिक एकादशी इसी दिन प्रात 0.5 बजे से अगले दिन 05 अगस्त को सुबह 04.25 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग होता है. इस प्रकार इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा.
व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान
श्रावण मास की कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य-क्रिया निवृत्त हों. इसके बाद स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. पूजा के विशेष मुहूर्त के अनुरूप घर के मंदिर के सामने एक छोटी चौकी पर गंगा जल छिड़ककर उस पर लाल रंग का आसन बिछाएं. अब पूर्व या उत्तर की ओर बैठकर श्रीहरि की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाकर नये वस्त्र पहनाएं. इसी तरह माता लक्ष्मी को भी पंचामृत से स्नान करवाकर नये वस्त्र पहनाकर आवश्यक श्रृंगार करें. धूप-दीप प्रज्जवलित कर श्रीहरि एवं माँ लक्ष्मी का आह्वान करें. अब ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते हुए श्रीहरि एवं लक्ष्मी जी को पुष्प, इत्र, सुपारी, अक्षत, रोली, चंदन, तुलसी के 121 पत्ते अर्पित करने के बाद दूध से बनी मिठाई का भोग लगायें. इसके बाद कामिका एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं. अंत में आरती उतारें. मान्यता है कि जो भी जातक इस व्रत को सच्चे मन और गहरी आस्था से करता है, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी उसकी हर मनोकामनाओं को पूरी करते हैं. यहां तक कि जाने-अनजाने उससे हुए पापों से भी मुक्ति दिलाते हैं. अगले दिन 5 अगस्त की सुबह स्नान-ध्यान कर पारण से पूर्व किसी ब्राह्मण को भोजन-वस्त्र एवं कुछ मुद्राएं देने के बाद व्रत खोल सकते हैं.
कामिका एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक गांव में पहलवान रहता था. वह नेक-दिल आदमी था, लेकिन उसे क्रोध बहुत जल्दी आता था. इस वजह से आए दिन उसका किसी ना किसी से झगड़ा हो जाता था. एक दिन पहलवान का एक ब्राह्मण से ऐसा झगड़ा हुआ कि उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी. अब उस पर ब्रह्म-हत्या का दोष लग गया. किसी के सुझाव पर वह ब्रह्म-हत्या के दोष से बचने के लिए ब्राह्मणों के अंतिम संस्कारों में जाने लगा. मगर पंडितों ने उसे हर जगह से भगा दिया. यहां तक कि ब्राह्मणों ने पहलवान के घर होने वाले किसी भी संस्कार में शामिल होने से मना कर दिया. तब पहलवान ने एक नामचीन साधू को सारी बात बता कर पूछा कि उसे क्या करना चाहिए. साधु ने उसे कामिका एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी. तब पहलवान ने कामिका एकादशी का पूरे विधि-विधान पालन किया. एक रात पहलवान श्रीहरि की प्रतिमा के पास सो रहा था. रात में श्रीहरि ने उसे दर्शन देते हुए बताया कि उसे ब्रह्म-हत्या से मुक्त कर दिया है. कहते हैं कि उसी दिन से कामिका एकादशी का व्रत एवं पूजा किया जा रहा है.