Janmashtami 2024: पवित्र मंदिरों से लेकर डिजिटल भक्ति तक: कृष्ण चेतना के प्रसार में तकनीक की भूमिका
राधा-कृष्ण (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Krishna Janmashtami 2024: इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य श्रीला प्रभुपाद ने अपने समय में छह महाद्वीपों में 108 मंदिर स्थापित किए. आज, लगभग पचास साल बाद, ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ दुनिया भर में एक हज़ार से ज़्यादा केंद्रों तक फैल चुका है. प्रत्येक इस्कॉन मंदिर (ISKCON) कृष्ण चेतना का एक समृद्ध केंद्र है. राधा-कृष्ण की आकर्षक मूर्तियाँ आकर्षण का केंद्र हैं. उन्हें चमकीले वस्त्रों, सुंदर फूलों और जगमगाते आभूषणों से सुंदर तरीके से सजाया जाता है. दिन में छह बार आरती और भोग लगाकर वैष्णव परंपरा के अनुसार उनकी पूजा की जाती है. मंदिर पूरे दिन 'हरे कृष्ण' महामंत्र, भजन और कीर्तन के अलौकिक मंत्रों से गूंजते रहते हैं. श्रीमद्भागवतम् और भगवद-गीता पर दैनिक प्रवचन भक्तों को दार्शनिक स्तर पर मजबूत बनाते हैं.

जन्माष्टमी (Janmashtami) और राम नवमी (Ram Navami) जैसे त्यौहार पूरे साल बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं. इस प्रकार इस्कॉन मंदिर भक्ति से जुड़ी गतिविधियों के पवित्र मंदिर हैं - जो आधुनिक समय में प्राचीन, पारंपरिक सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं.

"विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।

अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते॥"

यह श्लोक ईशोपनिषद के 11वें मंत्र का है, इसका अर्थ है:

"जो व्यक्ति विद्या (आध्यात्मिक ज्ञान) और अविद्या (सांसारिक ज्ञान) दोनों को एक साथ जानता है, वह अविद्या के माध्यम से मृत्यु को पार करता है और विद्या के माध्यम से अमरत्व को प्राप्त करता है."

इस श्लोक में यह समझाया गया है कि दोनों प्रकार के ज्ञान का महत्व है—सांसारिक ज्ञान से जीवन की कठिनाइयों को पार किया जा सकता है, और आध्यात्मिक ज्ञान से अमरत्व की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें: Janmashtami 2024 Bal Gopal Dresses: कृष्ण जन्माष्टमी पर अपने बच्चों को नटखट कान्हा की तरह करें तैयार और मनाएं यह पर्व (Watch Videos)

इस्कॉन इस बात का आदर्श उदाहरण हो सकता है कि कैसे सबसे पुरानी आध्यात्मिक परंपरा कृष्ण चेतना को फैलाने के लिए नवीनतम तकनीक को अपना सकती है। सच्चे जगद्गुरु और आचार्य श्रीला प्रभुपाद ने एक ऐसे संन्यासी का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया जो आधुनिक समय के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम थे. उनका प्रसिद्ध कथन है : "पुस्तकें आधार हैं, पवित्रता शक्ति है, उपदेश सार है, और उपयोगिता सिद्धांत है.

"ठीक वैसे ही जैसे डिक्टाफोन... ये कृष्ण-कथा, कृष्ण की चर्चा को रिकॉर्ड करता है. यह इसका उचित उपयोग है, इसलिए हर चीज की उपयोगिता होती है. जब इसका उपयोग कृष्ण के लिए किया जाता है, तो यह उचित उपयोगिता है. जब इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जाता है, तो यह माया है." श्रीला प्रभुपाद, रूम कन्वर्सेशन "जहां तक नये वृंदावन में मशीनों के इस्तेमाल की बात है, अगर ऐसी मशीनें आपके उद्देश्य में सहायक हैं तो आप उनका लाभ उठा सकते हैं. हम मशीनों के दुश्मन नहीं हैं. अगर उनका इस्तेमाल कृष्ण की सेवा के लिए किया जा सकता है तो हम उनका स्वागत करते हैं."

कीर्तनानंद को लिखा पत्र, 8 दिसंबर, 1968 श्रीला प्रभुपाद ने श्रीमद्भागवतम् पर अपनी अलौकिक टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने के लिए डिक्टाफोन का इस्तेमाल किया. उन्होंने भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट की स्थापना की, जो उनकी पुस्तकों को छापने के लिए नवीनतम तकनीक पर आधारित मशीनरी का उपयोग करता है. उनके शिष्यों ने उनके द्वारा कही गई लगभग हर बात को ऑडियो या वीडियो में रिकॉर्ड किया. उन्होंने अपनी लंबी यात्राएं करने के लिए आधुनिक परिवहन के सभी साधनों का उपयोग किया. इस तरह, उन्होंने दिखाया कि कैसे आधुनिक गैजेट, मशीनें और तकनीक सहित हर चीज का उपयोग भगवान कृष्ण की सेवा में किया जा सकता है.

इस्कॉन हमेशा से ही तकनीक का इस्तेमाल करने में सबसे आगे रहा है. इस्कॉन की शुरुआती वेबसाइटें दुनिया की तमाम बड़ी संस्थाओं की  वेबसाइटें जितनी ही पुरानी हैं. श्रीला प्रभुपाद के संपूर्ण पारलौकिक साहित्य का डिजिटल ज्ञानकोष ‘वेदबेस’ नब्बे के दशक के उत्तरार्ध से भक्तों की सेवा कर रहा है. श्रीला प्रभुपाद की पुस्तकों और इस्कॉन चित्रों की बिक्री करने वाला हमारा पहला ऑनलाइन स्टोर कई लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के जन्म से बहुत पहले ही शुरू हो गया था. लगभग सभी इस्कॉन गिफ्ट शॉप, बुक स्टोर, प्रसादम स्टोर और गोविंदा के रेस्तरां पॉइंट-ऑफ़-सेल (पीओएस) सिस्टम का उपयोग करते हैं. हमारे कुछ बड़े मंदिर अत्याधुनिक ईआरपी सिस्टम और डिजिटल डोनेशन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं.

इस्कॉन के लिए सबसे अहम गतिविधि कृष्ण चेतना का प्रचार है, जिसमें सामूहिक रूप से ‘हरे कृष्ण’ महामंत्र का जाप, भगवद-गीता और श्रीमद्भागवतम पर प्रवचन, वैदिक साहित्य का सामूहिक अध्ययन और प्रसाद वितरण शामिल है. दुनिया में फैसी महामारी के दौरान हर किसी को डर था कि मंदिरों में महीनों तक सख्त तालाबंदी रहेगी और भक्तों की भौतिक संगति के बिना, आध्यात्मिक गतिविधियां कम हो जाएंगी, लेकिन भक्ति सेवा के उत्साह को बढ़ाने के लिए डिजिटल तकनीक का पूरा लाभ उठाया गया.

भक्तों ने मंदिर के रखरखाव और लोगों को प्रसाद वितरित करने के लिए ऑनलाइन दान किया. लगभग सभी प्रमुख इस्कॉन मंदिरों ने ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रदान की. भगवान की पूजा बिना किसी रुकावट के जारी रही.  भक्तों ने अपने घरों में आराम से दैनिक आरती, मंदिर के कार्यक्रम और कक्षाओं में भाग लिया. भक्तों की वर्चुअल भागीदारी के साथ त्योहार मनाए गए. दुनिया भर में नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएं, व्याख्यान, रिट्रीट और प्रवचन आयोजित किए गए.  इन सभी डिजिटल तकनीकों का आज प्रभावी रूप से उपयोग किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: Janmashtami 2024 Radha Dress Ideas: कृष्ण जन्माष्टमी पर अपनी लाड़ली को राधा रानी की तरह सजाएं, इन ट्रेडिशनल ड्रेस और मेकअप आइडियाज की लें मदद (Watch Videos)

हाल के दिनों में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म बहुत प्रभावशाली मंच बन गए हैं. हमारे कुछ बेहतरीन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स हज़ारों युवाओं के जीवन को बदलने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। इस्कॉन हर जगह मौजूद है, चाहे वह डेडीकेटेड यूट्यूब, इंस्‍टाग्राम, फेसबुक या X हैंडल हों, चाहे वह लाइव क्लासेस या कोचिंग सेशन दे रहा हो, चाहे पॉडकास्ट हो या इंटरव्यू, चाहे मंदिर प्रवचन हो या घर पर उपदेश कार्यक्रम, चाहे भगवान के दर्शन हों या त्योहार मनाना - यह सबकुछ सोशल मीडिया पर उपलब्ध है.

इस तरह इस्कॉन सभी के कल्याण के लिए टेक्‍नोलॉजी को अपना रहा है. इस तरह इस्कॉन कृष्ण चेतना को पवित्र तीर्थस्थलों से डिजिटल भक्ति में विस्तारित करने की प्रक्रिया को बदल रहा है.

  • कृष्ण चेतना के प्रसार में प्रौद्योगिकी की भूमिका लेखक के लेख का मसौदा तैयार किया गया है: _गौरांगा दास प्रभु, इस्कॉन के शासी निकाय आयोग के सदस्य और इस्कॉन के गोवर्धन इकोविलेज (जीईवी) के निदेशक.