International Workers' Day 2020: छोटी-बड़ी किसी भी उपलब्धि का आधार श्रम होता है, और श्रमिक के बिना किसी भी उपलब्धि की उम्मीद बेमानी होती है. श्रम और श्रमिक के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. श्रमिकों के महत्व को समझते हुए संपूर्ण विश्व में 1 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ (International Workers' Day) मनाया जाता है.
हांलाकि इस दिवस विशेष के शुरु करने से पहले अमेरिका और शिकागो की सड़कें विश्वव्यापी आंदोलनों से रक्त-रंजित हुईं. बहरहाल इस दिन दुनिया के 80 देशों में राष्ट्रीय अवकाश (National holidays) घोषित रहता है. आखिर क्यों मनाते हैं श्रमिक दिवस? कब एवं कैसे हुई शुरुआत? आइये जानने की कोशिश करते हैं.
कब और कैसे हुई शुरुआत?
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में श्रमिकों के लिए काम की स्थिति बेहद गंभीर और अनसेफ होती थी. काम के दरम्यान मजदूरों को चोट लगना अथवा दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाना आम बात हुआ करती थी. इससे प्रबंधकों को कोई फर्क नहीं पड़ता था. मालिक श्रमिकों से 12 से 16 घंटे काम लेता था. इस वजह से श्रमिकों और मालिकों के बीच आये दिन विवाद और कभी-कभी संघर्ष होते रहते थे. अंततः 1884 में फेडरेशन ऑफ ऑर्गनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन्स (FOLTU) का गठन हुआ.
संगठन ने घोषणा की कि 1 मई 1886 से कानूनी रूप से दिन और श्रम को एक नया स्वरूप दिया जायेगा. 1 मई 1886 को श्रमिकों द्वारा महज आठ घंटे काम करने के लिए भारी तादाद में आंदोलन किया गया. कहा जाता है कि अमेरिका में हुए इस जन-आंदोलन में ढाई लाख से ज्यादा श्रमिक उपस्थित हुए थे. लेकिन इससे अमेरिकन गवर्नमेंट को कोई फर्क नहीं पड़ा. इसके बाद इन्हीं श्रमिकों ने शिकागो में भी आंदोलन किया.
इस आंदोलन में श्रमिकों और सरकार के बीच भारी झड़प हुई, जिसमें दोनों तरफ खूब रक्तपात हुआ. अंततः मजदूरों, कुछ समाजवादियों एवं अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर के प्रयासों से श़िकागो के राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूरों के लिए काम के वैधानिक समय आठ घंटे निर्धारित किया गया. इस तरह 1 मई 1886 से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई.
कैसे करते हैं सेलीब्रेट
इस दिवस विशेष पर मजदूर मालिक एवं प्रबंधकों के साथ श्रमिक दिवस मनाते हैं. मजदूर दिवस पर सामाजिक जागरुकता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. टीवी चैनल और रेडियो चैनलों पर रंगारंग कार्यक्रम, गोष्ठियां, डिबेट इत्यादि आयोजित किये जाते हैं. कहीं-कहीं विशेष थीम के अनुरूप कार्टून चरित्र, खेल, टीवी शो, फिल्म, जोक्स जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं. कहीं-कहीं राजनीतिक मंचों पर नेताओं द्वारा श्रमिकों के हित को लेकर भाषण एवं घोषणाएं आदि की जाती है.
भारत में श्रमिक दिवस के मायने
भारत में श्रमिक दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी. उऩ्होंने 1 मई 1923 को मद्रास हाईकोर्ट के सामने इस दिन को मजदूर दिवस के रूप में मनाने का सार्वजनिक तौर पर संकल्प लिया था और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा भी की थी. भारत में इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’, ‘मई दिवस’, ‘कामगार दिवस’, ‘इंटरनेशनल वर्कर डे’, ‘वर्कर डे’ इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के थीम
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर प्रत्येक वर्ष एक थीम नियोजित की जाती है, और इसी थीम पर श्रमिकों के लिए कार्यशाला आयोजित किये जाते हैं. आइये जानें पिछले 5 साल से किस थीम के अनुरूप श्रमिकों के हित के लिए कार्य सम्पन्न किये गये.
*वर्ष 2019 का थीम था, ‘सभी के लिए स्थायी पेंशन: सामाजिक भागीदारों की भूमिका’.
*वर्ष 2018 का थीम था, ‘सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना’.
*वर्ष 2017 का थीम था, ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन मनाइये’.
*वर्ष 2016 का थीम था, ‘अंतरराष्ट्रीय श्रम आंदोलन मनाना’.
*वर्ष 2015 का थीम था, ‘आइये शांति, एकजुटता और अच्छे कार्यों द्वारा कैमरुन के बेहतर भविष्य का निर्माण करें’.