साल 1674 में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक (Shivaji Maharaj Rajyabhishek) के साथ ही भारत में मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) की नींव पड़ी. हिंदू साम्राज्य (Hindu Samrajya) की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) कई कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में ही राजनीति, राणनीति और युद्धनीति की शिक्षा हासिल कर ली थी. शिवाजी महाराज एक ऐसे शासक थे, जिनकी शूरवीरता, न्यायप्रियता, सर्वधर्म सम्मान की भावना, युद्ध कौशल और महिलाओं को विशेष दर्जा देने जैसे कई किस्सों का इतिहास में उल्लेख मिलता है. शिवराज्याभिषेक दिवस को ही देश में हिंदू साम्राज्य दिवस (Hindu Samrajya Diwas) के तौर पर मनाया जाता है.
छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मतिथि को लेकर आज भी भ्रांतिया बनी हुई हैं. कुछ इतिहासकार उनका जन्मोत्सव अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मनाने की वकालत करते हैं, जिसके अनुसार उनकी जयंती 19 फरवरी को मनाई जाती है. इसके अलावा कुछ इतिहासकार हिंदू पंचांग के अनुसार उनकी जयंती मनाने पर जोर देते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार सन 1630 में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था. यह भी पढ़ें: Hindu Samrajya Diwas 2020: छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस पर ही क्यों मनाजा जाता है हिंदू साम्राज्य दिवस, जानें इसका महत्व
शूरवीर योद्धा थे शिवाजी महाराज
बचपन से ही शिवाजी महाराज एक वीर योद्धा के तौर पर जाने जाते थे. बताया जाता है कि पुणे के नाचनी गांव नें एक बार आदमखोर चीते का आतंक मचा था. शिवाजी महाराज तक जब यह खबर पहुंची तो उन्होंने गांव वालों को मदद का भरोसा दिलाया. इसके बाद वो अपने कुछ सिपाहियों के साथ जंगल में चीते को ढूंढने निकले. काफी देर बाद अचानक चीते को सामने देखते ही सैनिक भाग खड़े हुए, लेकिन शिवाजी बिना डरे चीते पर टूट पड़े और उसे मार गिराया.
गोरिल्ला युद्ध के जनक थे छत्रपति
शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के वीर, पराक्रमी योद्धा थे, यही वजह है कि युद्ध के मैदान में मुगल सेना उनसे युद्ध करने के नाम पर खौफ खाती थी. कई बार शिवाजी महाराज ने अपनी छोटी सी सेना के दम पर मुगलों की हजारों की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. उन्हें गोरिल्ला युद्ध रणनीति का जनक भी कहा जाता है, क्योंकि वे युद्ध के दौरान गोरिल्ला युद्ध यानी छापामार युद्ध रणनीति का इस्तेमाल सबसे सफल हथियार के तौर पर करते थे.
सभी धर्मों का करते थे सम्मान
शिवाजी महाराज का सबसे बड़ा दुश्मन मुगल बादशाह औरंगजेब था और उन्होंने लगभग हर युद्ध में औरंगजेब को परास्त भी किया. हालांकि उन्होंने कभी मुसलमानों से किसी प्रकार का द्वेष नहीं किया और वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे. उनकी सेना में कई मुस्लिम बड़े-बड़े पदों पर तैनात थे. जानकारों के अनुसार, शिवाजी ने कई मस्जिदों के निर्माण में अनुदान दिया, इस वजह से उन्हें हिंदू पंडितों के साथ-साथ मुसलमान संतों और फकीरों का भी सम्मान प्राप्त था. यह भी पढ़ें: Hindu Samrajya Diwas 2020: हिंदू साम्राज्य दिवस आज, जानिए आखिर क्यों शिवराज्याभिषेक दिवस पर ही RSS द्वारा मनाया जाता है यह उत्सव
महिलाओं का करते थे बहुत सम्मान
शिवाजी महाराज वीर योद्धा होने के साथ-साथ एक दयालु शासक के तौर पर भी जाने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने आजीवन महिलाओं का सम्मान किया. यहां तक कि जब उनके सैनिक मुगलों को युद्ध में परास्त करके उनकी महिलाओं को गिरफ्तार कर दरबार में पेश करते थे, तब भी शिवाजी महाराज ने उनके साथ कभी दुर्व्यवहार नहीं किया. वे बंदी बनाकर लाई गई महिलाओं को सम्मानपूर्वक उनके घर भिजवाते थे और अपने सैनिकों के इस कदम पर खेद प्रगट करते थे.
गौरतलब है कि शिवाजी महाराज की जन्मतिथि को लेकर जिस तरह से अलग-अलग मत हैं, उसी तरह उनकी मृत्यु को लेकर भी कई भ्रांतियां हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 को हुआ था. कुछ इतिहासकार उनकी मृत्यु को स्वाभाविक मानते हैं, जबकि कई इतिहासकारों का मानना है कि जहर देकर साजिश के तहत उनकी हत्या की गई थी.