Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष (Pradosh) का दिन सबसे महत्वपूर्ण दिनों में एक माना जाता है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 4 जनवरी 2023 को पड़ने वाला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) कई मायनों में खास माना जा रहा है, क्योंकि साल का यह पहला प्रदोष होगा और बुधवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) एवं माता पार्वती (Mata Parvati) की षोडशोपचार विधि से पूजा करने से जातक के सारे कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, पुत्र-लाभ के साथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइये जानें क्या है, इस बुध प्रदोष का महात्म्य, पूजा विधि, मुहूर्त एवं व्रत कथा
बुध प्रदोष व्रत का महात्म्य!
बुध प्रदोष करने से भगवान शिव एवं माता पार्वती के साथ प्रथम पूज्य गणेश जी की भी जातक पर विशेष कृपा बरसती है, उसे पूर्व जन्म के पापों, आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. ज्योतिषियों का तो मानना है कि जिनके घर में क्लेश एवं कलह अथवा जिनकी कुंडली में सर्प दोष, ग्रह दोष, पितृ दोष आदि हों तो उन्हें इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करना चाहिए. कर्ज मुक्ति के लिए भी बुध प्रदोष व्रत काफी पुण्य-फल देने वाला माना जाता है.
बुध प्रदोष की तिथि एवं शुभ मुहूर्त!
बुध प्रदोष प्रारंभः 10.01 PM (3 जनवरी 2023 मंगलवार) से
बुध प्रदोष समाप्तः 12.00 AM (4 जनवरी 2023 बुधवार) तक
उदयकाल 4 जनवरी 2023 होने के कारण प्रदोष व्रत 4 जनवरी 2023 को ही रखा जायेगा.
पूजा मुहूर्तः बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 04 जनवरी 2023 को 05.37 PM से 08.21 PM तक है. यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2022: आज दो शुभ योगों एवं शिवरात्रि के संयोग के साथ होगा प्रदोष व्रत! जानें इसका महत्व
षोडशोपचार विधि से करें पूजा!
पौष शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को प्रातःकाल स्नान-दान करें. अब भगवान शिव, पार्वती एवं श्री गणेश की पूजा एवं व्रत का संकल्प लें. तत्पश्चात शिव परिवार की षोडशोपचार विधि से पूजा करें. अंत में गणेश जी एवं शिवजी की आरती उतारें. पूरे दिन व्रत रहने के पश्चात संध्याकाल के समय स्नान करें और शुभ मुहूर्त पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करें.
सर्वप्रथम धूप-दीप प्रज्वलित करें और शिवलिंग का पहले पंचामृत (घी, गाय का कच्चा दूध, दही, शहद और चीनी से निर्मित) इसके पश्चात गंगाजल से स्नान करायें. अब शिवलिंग पर सफेद चंदन, भस्म, बेलपत्र, मदार का सफेद पुष्प, भांग एवं धतूरा के साथ खोये की मिठाई चढ़ाएं. अंत में एक बार पुनः शिवजी की आरती उतारें.
बुध प्रदोष व्रत-कथा
एक व्यक्ति का हालिया विवाह हुआ था, इसके कुछ दिनों बाद पत्नी मायके चली गई. कुछ दिनों बाद पति पत्नी को लेने ससुराल गया. अगले दिन बुध-प्रदोष का दिन था. पति ने पत्नी की विदाई की बात की. ससुराल वालों ने बुधवार की विदाई को शुभ नहीं बताया. लेकिन पति पत्नी को लेकर चल पड़ा. रास्ते में पत्नी को प्यास लगी, पति पानी लेकर जब लौटा तो यह देखकर क्रोधित हो उठा कि पत्नी किसी से हंस-हंस कर बात कर रही है, लेकिन पति यह देख हैरान रह गया कि उसकी शक्ल हूबहू उसी तरह की थी.
थोड़ी देर में वहां भीड़ इकट्ठी हो गई. लोग भी उन हमशक्लों को देख हैरान रह गये. लोगों ने स्त्री से पूछा, उसका पति कौन है? पति ने भगवान शिव से प्रार्थना किया कि आगे से वह बुधवार को पत्नी की विदाई नहीं करेगा. उसी समय दूसरा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया. अंततः पति-पत्नी सुरक्षित घर पहुंच गये. इसके बाद से ही बुध प्रदोष को शिवजी की विशेष पूजा की परंपरा शुरू हुई.