Dev Diwali 2020 Messages in Hindi: भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी वाराणसी (Varanasi) यानी काशी (Kashi) में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल देव दिवाली 29 नवंबर (रविवार) को मनाई जा रही है. देव दीपावली (Dev Deepawali) का उत्सव कार्तिक अमावस्या की दीपावली के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता देव दीपावली का उत्सव मनाने के लिए धरती पर भगवान शिव की नगरी काशी आते है, इसलिए इस रात पूरी काशी दीयों की रोशनी से जगमगा उठती है और बनारस के गंगा घाटों (Ganga Ghats) को दीयो की रोशनी से रोशन किया जाता है. इस दिन गंगा में स्नान (Ganga Snan) करने और दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया जाता है. माना जाता है कि इस दिन गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली का आयोजन सबसे पहले बनारस के पंचगंगा घाट पर साल 1915 में हजारों दीये प्रज्वलित करके किया गया था, तब से यहां देव दीपावली पर गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है. इस अति पावन अवसर पर आप इन प्यारे मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, कोट्स, एसएमएस, वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- हंसते-मुस्कुराते दीप तुम जलाना,
जीवन में नई खुशियों को लाना,
दुःख दर्द अपने भूलकर,
सबको गले लगाना, सबको गले लगाना.
देव दिवाली की शुभकामनाएं
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2- देव दिवाली आई, मस्ती छाई,
रंगी रंगोली, दीप जलाएं,
धूम-धड़ाका, छोड़ा पटाखा,
जली फुलझड़ियां सबको भाए.
देव दिवाली की शुभकामनाएं
3- देव दिवाली पर जलाना हजारो दीये,
खूब करना उजाला खुशी के लिए,
किसी कोने में एक दीया जलाना जरूर,
जो जले उम्र भर हमारी दोस्ती के लिए.
देव दिवाली की शुभकामनाएं
4- दीप जलते रहें, मन से मन मिलते रहें,
गिले शिकवे सारे मन से निकलते रहें,
सारे विश्व मे सुख-शांति की प्रभात ले आए,
दीपो का ये त्योहार खुशी की सौगात ले आए.
देव दिवाली की शुभकामनाएं
5- सुख-समृद्धि मिले आपको इस देव दिवाली पर,
दुख से मुक्ति मिले आपको इस देव दिवाली पर,
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हो आपके साथ और,
लाखों खुशियां मिले आपको इस देव दिवाली पर.
देव दिवाली की शुभकामनाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा से कुछ दिन पहले यानी देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं और उनके जागने की खुशी में सभी देवता स्वर्ग से धरती पर आकर बनारस के घाटों पर देव दीपावली मनाते हैं. देव दीपावली से जुड़ी प्रचलित कथा के अनुसार, तीनों लोकों को त्रिपुरासुर के आंतक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लिया था. उन्होंने त्रिपुरासुर का अंत करके सभी को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी, इसलिए असुरों पर भगवान शिव की विजय का जश्न मनाने के लिए देवताओं ने दीप जलाकर देव दीपावली का उत्सव मनाया था. माना जाता है कि देव दिवाली मनाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.