Choti Diwali 2023 Kab Hai: कब है छोटी दिवाली 11 या 12 नवंबर को? साथ ही जानें क्या फर्क है छोटी एवं बड़ी दिवाली में?
दिवाली 2023- Unsplash

Choti Diwali Date: हिंदी पंचांग के अनुसार दिवाली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है. मुख्य दिवाली से पूर्व छोटी दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन हनुमान जयंती भी होती है. और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था. इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी मनाया जाता है. इसी दिन को काली चौदस के नाम से भी मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन देवी काली की पूजा की जाती है. कुछ लोग इस दिन सौंदर्य व्रत भी रखते हैं. आइए जानते हैं छोटी दिवाली की मूल तिथि एवं सेलिब्रेशन के बारे में विस्तार से..

किस दिन मनाई जाएगी छोटी दिवाली?

छोटी दिवाली मुख्य दिवाली से एक दिन पूर्व यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाई जाती है. हिंदी तिथि के अनुसार इस वर्ष छोटी दिवाली की शुरुआत और समाप्ति चतुर्दशी तिथि को हो रही है, लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 नवंबर को दोपहर से चतुर्दशी शुरू होकर 12 नवंबर 2023 की दोपहर को समाप्त होगी. इसलिए लोगों में दुविधा है कि वे दिवाली 11 नवंबर को मनाएं अथवा 12 नवंबर को. चूंकि नरक चतुर्दशी एवं लक्ष्मी पूजा संध्याकाल में होती है, इसलिए छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी.

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी प्रारंभः 01.57 PM (11 नवंबर 2023, शनिवार) से

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी समाप्तः 02.44 PM (12 नवंबर 2023, रविवार) तक

क्यों मनाते हैं छोटी दिवाली?

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से महाबलशाली दैत्य नरकासुर का संहार साधु-संतों एवं देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. चूंकि यह धर्म की अधर्म पर विजय का दिन था, इसलिए इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है, और चूंकि भगवान श्रीराम लंकापति रावण का वध कर एवं चौदह वर्ष वनवास पूरा होने के पश्चात कार्तिक मास की अमावस्या के दिन देवी सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, इस खुशी में समस्त अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप प्रज्वलित कर दिवाली मनाई थी. इस दिन को इसलिए मुख्य दिवाली के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित होती हैं, इसलिए घर-घर उनकी विशिष्ठ पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है.