Eid-milad-un-nabi-2018: इस साल 21 नवंबर बुधवार को देश भर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-Milad-Un-Nabi) का पर्व मनाया जा रहा है. कहा जाता है कि यह दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद और उनके द्वारा दी गई शिक्षा को समर्पित होता है. यह पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम और पाक दिन माना जाता है, हालांकि ईद-ए-मिलाद-उन-नबी(Eid-Milad-Un-Nabi) को लेकर मुस्लिम समुदाय में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. इस पर्व को कई स्थानों पर ईद-ए-मिलाद को पैगंबर के जन्मदिन के रूप में और कई स्थानों पर इसे शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
वाकई ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का दिन मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास है, तो क्यों न इस खास दिन अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों को फेसबुक और वॉट्सऐप के जरिए कुछ शानदार मैसेजेस भेजकर ईद की मुबारकबाद दी जाए.
1- जिंदगी का हर पल खुशियों से कम न हो, आपका हर दिन ईद के दिन से कम न हो,
ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो, जिसमें कोई दुख और गम न हो,
ईद मुबारक.
2- जिन लोगों तक नहीं पहुंच सकती मेरी बाहें,
उनके लिए मन से हमेशा निकलती हैं दुआएं,
बख्शे खुदा सबके गुनाह, बस यही करता हूं दुआएं.
ईद मुबारक.
3- दीपक में अगर नूर न होता, तन्हा दिल यूं मजबूर ना होता,
मैं आपको ईद मुबारक कहने जरूर आता, अगर आपका घर इतना दूर ना होता.
ईद मुबारक. यह भी पढ़ें: ईद-ए-मिलाद 2018:जानिए क्यों मनाया जाता है ये त्योहार, मुस्लिम समाज में क्या है महत्त्व
4- गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है,
मुबारक हो आपको ईद का दिन,
हमने ये पैगाम भेजा है.
ईद मुबारक.
5- सदा हंसते रहो, जैसे हंसते हैं फूल,
दुनिया के सारे गम तुम्हें जाएं भूल,
चारों तरफ फैलाओ खुशियों के गीत,
ऐसी उम्मीद के साथ यार तुम्हें ईद मुबारक.
6- तमन्ना आपकी सब पूरी हो जाए, हो आपका मुकद्दर इतना रोशन की,
आमीन कहने से पहले ही आपकी हर दुआ कबूल हो जाए.
ईद मुबारक.
7- चुपके से चांद की रौशनी छू जाए आपको,
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको,
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से,
हमारी दुआ है इस ईद वो मिल जाए आपको.
ईद मुबारक.
बहरहाल, मुस्लिम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म इस्लाम कैलेंडर के अनुसार, रबि-उल-अव्वल माह के 12वें दिन 570 ई. को मक्का में हुआ था और कुरान के अनुसार, ईद-ए-मिलाद को मौलिद मावलिद के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पैगंबर का जन्म दिवस. इसलिए शिया समुदाय के लोग इसे जन्म दिवस की खुशी के पर्व के रूप में मनाते हैं. वहीं, सुन्नी समुदाय के अधिकांश लोगों का यह मानना है कि ये उनकी मौत का दिन है जिसके कारण वो पूरे महीने शोक मनाते हैं.