Chandra Grahan 2020: सूतक नहीं होने के बावजूद गर्भवती महिलाएं रहें सजग, जानें किन बातों से बचें
साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण आज है (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Lunar Eclipse 2020: साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लग रहा है. खगोलीय घटनानुसार ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी सूर्य की रोशनी को ढक लेती है. आध्यात्मिक दृष्टि से भी इस ग्रहण का बहुत महात्म्य है. इस दिन पौष पूर्णिमा है, हिंदू मान्यतानुसार इस चंद्र ग्रहण पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन गुरू की पूजा का विधान है, इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. मान्यता यह भी है कि चंद्र ग्रहण के काल में किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने से उसके सारे पाप धुल जाते हैं, लेकिन यह स्नान तभी फलीभूत होता है, जब स्नान के पश्चात ब्राह्मण को गेहूं, चावल, काला तिल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी किया जाये.

साल का यह पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी 2020 की रात 10:37 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 2.42 बजे तक चलेगा. यानी यह ग्रहण काल लगभग चार घंटे 5 मिनट तक रहेगा. हिंदू धर्मानुसार हर ग्रहण का व्यक्ति के जीवन पर अच्छा या बुरा प्रभाव अवश्य पड़ता है, जिससे बचने के लिए ज्योतिष में कई नियम उल्लेखित हैं. ज्योतिषियों के अनुसार इस चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं होगा. लेकिन इससे पूर्व भी ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को पड़ा था. उस समय भी ग्रहण को लेकर ज्योतिषियों ने गर्भवती महिलाओं को बातों से परहेज रखने के सुझाव दिये थे. आइए जानते हैं वो ऐसी कौन सी बातें हैं, जिनका पालन करके गर्भवती महिला एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है.

* ग्रहणकाल में घर के भीतर ही रहेः- चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि गर्भवती महिला अगर ग्रहणग्रस्त चांद देख ले उसके गर्भ में पल रहे शिशु के सेहत पर शारीरिक अथवा मानसिक असर पड़ सकता है. इस वजह से कभी-कभी शिशु के शरीर पर अजीब से निशान अथवा दोषपूर्ण अंग उत्पन्न हो सकते हैं.

* लोहे की नुकीली वस्तुओं से दूर रहेः- ग्रहण काल में गर्भवती स्त्रियों को लोहे की बनी किसी भी नुकीली वस्तुओं जैसे छूरी, सुई, कैंची इत्यादि का इस्तेमाल नहीं करें. ज्योतिषियों का कहना है कि ऐसा करने से शिशु के सभी अंग सही सलामत रहते हैं. अन्यथा अंग दोष युक्त बच्चे के पैदा होने की संभावना हो सकती है.

* ग्रहणकाल में किचेन से दूर रहेः- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में ना रसोई घर में प्रवेश करना चाहिए और ना ही ग्रहण काल में बना भोजन करना चाहिए. कहते हैं कि ग्रहण से उपजी हानिकारक किरणें भोजन को प्रदूषित करती हैं. अगर बच्चे के लिए ग्रहणकाल में खाना जरूरी है तो ग्रहण से पूर्व उसमें तुलसी के पत्ते डाल दें. तुलसी में ऐसे तत्व होते हैं, जो ग्रहण की नुकसानदायक किरणें उसका असर खत्म कर देती हैं.

* ग्रहण के बाद स्नान जरूरी हैः- ग्रहण समाप्त होने के बाद गर्भवती महिलाएं अगर नदी में स्नान करने योग्य नहीं हों तो घर में स्नान अवश्य करें. ज्योतिषियों का कहना है कि ऐसा नहीं करने से गर्भस्थ शिशु को त्वचा संबधी रोग लग सकते हैं.

* दैहिक संबंध से बचेः- ग्रहण के समय पति-पत्नी दैहिक संबंध नहीं बनाएं. इसके अलावा ग्रहणकाल में दवा नहीं खाना चाहिए और ना ही भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना चाहिए.

* तुलसी का पत्ता मुंह में रखकर ईश्वर को याद करेः- ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिला को तुलसी का पत्ता मुंह में रखकर हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए

 नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.