आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों के विभिन्न पहलुओं पर काफी विचार प्रस्तुत किये हैं, और उनके ये सभी विचार तर्कपूर्ण हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में तो स्त्री को शक्ति स्वरूपा की उपाधि दी गई है, लेकिन चाणक्य की अपनी अलग नीतियां हैं. आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से स्त्री का विश्लेक्षण किया है, जिससे पता चलता है कि स्त्री की सबसे बड़ी शक्ति क्या होती है. इस श्लोक में चाणक्य ने महिलाओं के साथ-साथ ब्राह्मण, राजा (नेता/लीडर) की सबसे बड़ी शक्ति का जिक्र किया है. ये श्लोक है.
बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली।
रूप यौवन माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।
अर्थात राजाओं का बल बाहुबल, शस्त्र और उसकी सेना, ब्राह्मण का बल ज्ञान और ब्रह्म विद्या है, लेकिन स्त्रियों का बल मधुर वाणी, रूप, शीलता और यौवन है
क्या है स्त्री शक्ति?
स्त्री की शक्ति की विवेचना करने के बाद चाणक्य ने स्पष्ट किया है कि स्त्री की सबसे बड़ी ताकत उनकी मधुर वाणी होती है. अपनी मधुर वाणी से वह किसी को भी मंत्र-मुग्ध करने की शक्ति रखती हैं. उनकी दूसरी बड़ी शक्ति होती है उनका शारीरिक सौंदर्य, हांलाकि चाणक्य नीति के अनुसार स्त्री की शारीरिक सुंदरता से ज्यादा महत्व वाणी की मधुरता होती है, क्योंकि मधुर वाणी वाली स्त्री कम सुंदर होकर भी किसी को भी अपना प्रशंसक बना सकती है. अपनी इस शक्ति के दम पर वह घर हो या बाहर सभी जगह प्रशंसा हासिल कर लेती है.
ब्राह्मण की शक्ति
चाणक्य के उपयुक्त श्लोक में ब्राह्मण के बारे में भी विवेचना है. चाणक्य नीति के अनुसार ब्राह्मण की सबसे बड़ी शक्ति है, उसका ज्ञान, अपनी इसी शक्ति के आधार पर वह समाज में खास सम्मान हासिल कर पाता है. चाणक्य ने यहां तक भी कहा है कि ज्ञान किसी भी व्यक्ति की शक्ति के द्विगुणित कर सकता है, क्योंकि संकट के समय उसका ज्ञान ही उसका सबसे बड़ा सहारा बनता है
राजा (नेता) की शक्ति
राजा का सबसे ज्यादा समय तक सत्तासीन होना उसके बाहुबल अथवा उसके शक्तिशाली सैन्य शक्ति पर निर्भर करता है, क्योंकि अगर राजा अथवा नेता कमजोर है तो वह कभी भी शासन को सही तरीके से नहीं चला सकेगा, विरोधी उसे कभी भी सत्ताच्यूत कर सकते हैं. एक नेता भी अगर बाहुबल से मजबूत नहीं है तो मानसिक रूप से सशक्त होने पर ही वह कूटनीति प्रबंधन के दम पर अपना साम्राज्य कुशलता से चला सकेगा.