Champa Shashti 2024: कब और क्यों मनाया जाता है चंपा षष्ठी पर्व? इस शुभ मुहूर्त और विधि से पूजा करने से मिलेगा संपूर्ण पुण्य फल!
Champa Shashti 2024 (img: file photo)

मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की छठे दिल चंपा षष्ठी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा अनुष्ठान का विधान है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव के मार्तंडाय-मल्लहारी स्वरूप की पूजा की जाती है. स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है. इसलिए इस व्रत एवं पर्व को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है. इस वर्ष चंपा षष्ठी व्रत 07 दिसंबर 2024, शनिवार को रखा जाएगा. यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. चंपा षष्ठी का यह व्रत रखने वाले जातकों के सभी कष्ट मिट जाते हैँ. और धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. जानें चंपा षष्ठी पर्व का महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि के संदर्भ में...

चम्पा षष्ठी पर्व का महत्व

चम्पा षष्ठी का यह पर्व भगवान शिव के मार्तंडाय-मल्लहारी स्वरूप को समर्पित माना गया है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार के अनुसार भगवान शिव ने खंडोबा नामक स्थान पर मणि एवं मल्ह नामक दैत्य भाइयों से छह दिनों तक अनवरत युद्ध करते हुए अंततः चंपा षष्ठी के दिन उनका संहार कर पृथ्वी को आतताइयों से मुक्ति दिलाई थी. मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. शिवजी ने भैरव और देवी पार्वती ने शक्ति रूप में यहां अवतरित हुए थे, इसलिए महाराष्ट्र में रुद्रावतार भैरव को मार्तंड-मल्लहारी व खंडोबा के नाम से पुकारा जाता है. यह भी पढ़ें : Mahaparinirvan Diwas 2024 Quotes: महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के इन 10 महान व प्रेरणादायी विचारों को करें प्रियजनों संग शेयर>

चम्पा षष्ठी की मूल तिथि

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी आरंभ: 12.07 PM (06 दिसम्बर 2024)

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी समाप्त: 11.05 AM (08 दिसम्बर 2024)

उदया तिथि के अनुसार 07 दिसंबर को चम्पा षष्ठी का व्रत एवं पर्व मनाया जाएगा.

चम्पा षष्ठी पूजा विधि

मार्गशीर्ष षष्ठी को ब्रह्ममुहूर्त से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान भास्कर को जल अर्पित करें. अब भगवान शिव, भगवान मार्तण्ड एवं स्वामी कार्तिकेय की पूजा का संकल्प लें. शिवलिंग पर गंगाजल, कच्चा दूध से अभिषेक करें, बेल पत्र और चंपा का फूल अर्पित करें. आज के दिन बहुत से लोग शिवलिंग पर बाजरा, बैंगन, खांड, अबीर आदि भी चढ़ाते हैं. इसलिए कुछ स्थानों पर इसे बैंगन छठ पर्व के नाम से भी मनाया जाता है. चम्पा षष्ठी पर व्रत एवं पूजन करनवाले जातकों को इस दिन भूमि पर ही शयन करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन सारे नियमों का पालन करते हुए पूजा-अनुष्ठान करने सभी पाप नष्ट होते हैं, तथा जीवन में खुशियां एवं शांति आती है. इस दिन देश के सभी खंडोबा मंदिर में हवन, पूजन और कीर्तन का आयोजन होता है, तथा खंडोबा देव को हल्दी, फल एवं सब्जियां आदि भी चढ़ाई जाती है.