Sambhal Mosque Well Row: सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद के पास कुएं को लेकर नगर निगम के नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. यह फैसला संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जो एक सिविल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दे रही थी जिसमें मस्जिद के सर्वेक्षण का निर्देश दिया गया था. मस्जिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ के समक्ष नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस पर सवाल उठाए.
इस नोटिस में कुएं के क्षेत्र को 'हरी मंदिर' बताया गया था और वहां पूजा करने की बात कही गई थी.
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मस्जिद कमेटी की आपत्तियां
मस्जिद कमेटी ने कोर्ट को बताया कि यह कुआं मस्जिद की जरूरतों के लिए उपयोग किया जाता है. अगर इसे हिंदू धर्म के पूजा स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती है तो इससे क्षेत्र में शांति भंग हो सकती है. नवंबर 2024 में भी यहां हिंसक झड़पें हुई थीं, जब एक कोर्ट-आदेशित सर्वेक्षण का विरोध किया गया था. मस्जिद कमेटी ने यह भी कहा कि संभल जिला प्रशासन का यह दावा गलत है कि कुआं मस्जिद परिसर के बाहर स्थित है.
सुप्रीम कोर्ट का रुख
इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, "अब यह कहा जा रहा है कि नोटिस में इसे 'हरी मंदिर' कहा गया है. अब अगर वहां पूजा या स्नान शुरू हो जाता है तो क्या समस्या है?" इस पर अहमदी ने कहा कि यह कदम शांति और सद्भाव को बिगाड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस नोटिस पर रोक लगा दी है और जिला प्रशासन को किसी भी कार्रवाई से बचने का आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सिविल कोर्ट में अधिवक्ता हरि शंकर जैन और सात अन्य ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें यह दावा किया गया कि मुगलकालीन यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. इसी याचिका के आधार पर सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था.