पश्चिम बंगाल: जूट मिलों के बाहर इकट्ठा हुए मजदूर, लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने दी है 15 फीसदी कार्यबल की अनुमति
जूट मिल मजदूर (Photo Credits: ANI)

कोलकाता: कोरोना वायरस प्रकोप (Coronavirus Outbreak) के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन (Lockdown) का दूसरा चरण चल रहा है. हालांकि लॉकडाउन 2 (Lockdown 2) की घोषणा करते समय पीएम मोदी (PM Modi) ने देशवासियों से कहा था कि 20 अप्रैल से देश के कुछ इलाकों में ढील दी जा सकती है. इसके मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को राज्यों के भीतर मजदूरों की आवाजाही को मंजूरी देने वाली गाइडलाइन जारी की, लेकिन इसके साथ यह भी साफ कर दिया कि कोरोना के हॉटस्पॉट में किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी. गृह मंत्रालय के गाइडलाइन जारी किए जाने के बाद तमाम राज्य सरकारों ने 20 अप्रैल से कामकाज शुरू करने को लेकर अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर ली है. सोमवार की सुबह-सुबह पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना में काम करने के लिए मजदूर जूट मिलों के बाहर पहुंचे.

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तर 24 परगना (North 24 Pargana) स्थित बैरकपुर में जूट मिलों (Jute Mills) के बाहर मजदूर खड़े हैं. राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मिलों में परिचालन फिर से शुरू करने के लिए 15 फीसदी कार्यबल की अनुमति दी है. श्रमिकों का कहना है कि मिलें नहीं खुली हैं. हमें हमारे ठेकेदार द्वारा यहां बुलाया गया था, लेकिन मिलों से कोई जानकारी नहीं मिली है. मिल के बाहर खड़े मजदूरों का कहना है कि हम लोगों की स्थिति बहुत खराब है. घर में राशन खत्म हो गया है और खाने-पीने की भी व्यवस्था नहीं है.

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दरअसल, कोरोना वायरस प्रकोप के कारण पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग पर बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन के चलते राज्य की लगभग सभी जूट मिलों को बंद कर दिया गया, जिसके चलते करीब 2 लाख जूट मिल मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. हालांकि लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद इन मजदूरों के मन में उम्मीद की एक किरण जरूर जागी है, लेकिन ठेकेदारों द्वारा बुलाए जाने के बावजूद खबर लिखे जाने तक इन मजदूरों को मिल की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. यह भी पढ़ें: कोरोना का कहर: देश में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 से संक्रमित 1,324 नए केस आए सामने, कुल संख्या 16,116 हुई; 519 लोगों की मौत

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के तमाम जूट मिलों में काम करने वाले तकरीबन 90 फीसदी मजदूर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं. बताया जाता है कि ये लोग कई पीढ़ियों से जूट मिलों में काम कर रहे हैं.