VIDEO: भारत का पहला हाइपरलूप ट्रैक! 600 KM की रफ्तार पर होगा टेस्ट, रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शेयर किया वीडियो

भारत में परिवहन के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया गया है. केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 5 दिसंबर 2024 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें IIT मद्रास के डिस्कवरी कैंपस में बनाए गए 410 मीटर के हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक की झलक दिखाई गई. यह परीक्षण ट्रैक भारत की हाई-स्पीड ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो देश को हाइपरलूप तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने में सक्षम हो सकता है.

हाइपरलूप: क्या है ये नई तकनीक?

हाइपरलूप एक अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो वैक्यूम ट्यूब में विशेष कैप्सूल के जरिए अत्यधिक तेज़ गति से यात्रा करने की संभावना प्रदान करती है. इस प्रणाली के तहत, वाहन हवा के घर्षण से बचने के लिए वैक्यूम-सील किए गए ट्यूब में चलते हैं, जिससे वे किसी भी अन्य पारंपरिक परिवहन तकनीक से कहीं ज्यादा तेज़ गति से चलते हैं. इस तकनीक का लक्ष्य 600 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति प्राप्त करना है, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी.

भारत में हाइपरलूप तकनीक का विकास

IIT मद्रास के डिस्कवरी कैंपस में स्थित इस 410 मीटर के परीक्षण ट्रैक को भारतीय रेलवे, IIT-मद्रास की अविष्कार हाइपरलूप टीम और TuTr हाइपरलूप स्टार्टअप की साझेदारी से बनाया गया है. इस ट्रैक की शुरुआत 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से की गई थी, और आगामी परीक्षणों में इसे 600 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति पर परीक्षण किया जाएगा.

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ट्रैक के उद्घाटन के बारे में बताते हुए कहा, "भारत का पहला हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक (410 मीटर) पूरा हुआ. यह हमारे हाई-स्पीड परिवहन के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है." उन्होंने इस प्रयास में जुटे सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को सराहा और आशा जताई कि भारत जल्द ही इस अत्याधुनिक तकनीक को वास्तविकता में बदल सकेगा.

भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम

हाइपरलूप तकनीक का भारत में आगमन न केवल भारतीय परिवहन प्रणाली को बदल सकता है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल और किफायती यातायात का एक नया साधन भी बन सकता है. अगर यह परीक्षण सफल रहता है, तो भविष्य में हाइपरलूप की तकनीक भारत के मेट्रो रेल नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है, जिससे शहरों के बीच यात्रा करने का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा. इसके अलावा, यह तकनीक भारत के परिवहन क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकती है.

आने वाले दिन और हाइपरलूप का भविष्य

केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे द्वारा हाइपरलूप तकनीक पर दी जा रही प्राथमिकता और IIT मद्रास जैसी संस्थाओं की कोशिशों से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में हाइपरलूप भारतीय शहरों को जोड़ने का एक अहम साधन बन सकता है. इसके अलावा, यह न केवल भारतीय यात्रियों के लिए एक तेज़ और सुविधाजनक यात्रा का मार्ग खोलेगा, बल्कि देश को वैश्विक परिवहन नेटवर्क का हिस्सा भी बना सकता है.

इस ट्रैक के सफल परीक्षण के बाद, भारत में हाइपरलूप तकनीक का विस्तार और इसके व्यावसायिक उपयोग की दिशा में कई और कदम उठाए जाएंगे. यह न केवल परिवहन के तरीके को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत के विज्ञान और तकनीकी विकास में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.