दिल्ली में बढ़ते अपराध रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने लॉन्च किया विशेष अभियान
दिल्ली पुलिस (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में तेजी से बढ़ रहे अपराध के ग्राफ पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने अपराध संभावित क्षेत्रों समेत प्रमुख स्थानों पर बाइक सवारों को रोकने के लिए विशेष अभियान लॉन्च किया है. सशस्त्र अपराधियों से निपटने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ सशस्त्र जोनल अधिकारी भी तैनात किए जाएंगे.

पिछले एक पखवाड़े में दिल्ली के ज्यादातर स्थानों पर बाइक सवार सशस्त्र झपटमार गिरोहों ने महिलाओं या पैदल यात्रियों को निशाना बनाते हुए आतंक फैलाया हुआ है. कई मामलों में विरोध करने पर अपराधियों ने गोली मारकर शिकार की हत्या कर दी.

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रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से बैठक कर सशस्त्र लूट, डाके और हत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर नाराजगी जाहिर की. इसके बाद शुक्रवार को पुलिस आयुक्त ने पुलिस मुख्यालय पर बैठक कर सभी पुलिस उपायुक्तों (डीसीपी) को कमर कसने का निर्देश दिया है.

दिल्ली बन रही है सड़क अपराध की राजधानी

शुक्रवार को विशेष पुलिस आयुक्त ताज हसन ने संयुक्त पुलिस आयुक्तों को अगले 15 दिनों तक बाइकरों पर लगाम कसने और निगरानी करने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया. हसन ने कहा, "बाइकरों पर निगरानी रखने, उनसे पूछताछ करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र (सर्किल) में सशस्त्र जोनल ऑफिसर्स (जेडओ) के साथ कम से कम दो टीमें तैनात होने चाहिए."

ट्रैफिक पुलिस सशस्त्र अपराधियों से कैसे निपटेगी? इस सवाल पर हसन ने कहा, "अगर उन्होंने हिंसा का सहारा लिया तो हम जानते हैं कि जवाब कैसे देना है. प्रत्येक टीम के साथ एक सशस्त्र जोनल ऑफिसर होगा." केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में बार-बार एनकाउंटर के कारण गैंगस्टरों ने दिल्ली में शरण ले ली है.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ जोन में, जिसके तहत मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर समेत कुल नौ क्षेत्र आते हैं, पिछले दो सालों में लगभग 60 अपराधियों को मार गिराया और लुटेरों समेत लगभग 900 अपराधी बुरी तरह घायल हुए हैं. जिसके बाद बड़े अपराधियों को मजबूरन दिल्ली भागना पड़ा.

दिल्ली में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के अनुसार, अपराध से निपटने में पटनायक एक अनुभवी अधिकारी हैं, लेकिन वह योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत उप्र पुलिस द्वारा अपनाई गई एनकाउंटर नीति से सहमत नहीं हैं. इसके परिणामस्वरूप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के अपराधी दिल्ली को एक सुरक्षित पनाहगाह मान रहे हैं.

अपराधियों की हिम्मत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. शुक्रवार को एक झपटमार गिरोह ने ओखला के निकट एक ट्रैफिक सिग्नल पर एक महिला न्यायाधीश की कार के पिछले दरवाजे का शीशा तोड़ दिया, और गाड़ी में रखा हैंड बैग झपट लिया और नकदी, डेबिट कार्ड तथा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज झपट लिए.

शुक्रवार को ही सुबह तीन अपराधियों ने सागरपुरा में एक युवक से हैंडबैग छीन लिया. जब उसने विरोध किया तो उनमें से एक अपराधी ने उसे चाकू घोंपकर मार डाला. बुधवार को, द्वारका मोड़ के निकट एक व्यस्त सड़क पर हैलमेट पहने दो अपराधियों ने एक व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी.

इससे पहले 21 सितंबर को पटपड़गंज में मैक्स हॉस्पिटल के निकट हैलमेट पहने अपराधियों ने लूट के उद्देश्य से एक महिला (59) की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उन्नीस सितंबर को कनॉट प्लेस के निकट अपराधियों ने बंदूक की नोक पर एक जोड़े का पीछा कर लूट लिया. गंभीर अपराधों की यह सूची बहुत लंबी है.

सड़क पर बढ़ते अपराधों पर चिंता जाहिर करते हुए, दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त अजय राज शर्मा ने कहा कि अगर अपराधियों को लगता है कि पुलिस सक्रिय नहीं है तो उन्हें कोई फिक्र नहीं होती और वे और भी अधिक धृष्टता से सरेआम अपराधों को अंजाम देते हैं.

शर्मा ने कहा, "अपराध की प्रवृति यह स्पष्ट कर देती है कि अपराधियों में पुलिस, कानून यहां तक कि कोर्ट का भी कोई डर नहीं है. यह तब होता है जब पुलिस ऐसे अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने में या तो संकोच करते हैं या सुस्ती दिखाती है."