राम मंदिर पर मोहन भागवत ने कहा- न्याय में देरी भी अन्याय, अब जनता के दबाव पर ही सरकार लाएगी कानून
आरएसएस चीफ मोहन भागवत (Photo Credit-PTI)

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने रविवार को वीएचपी की हुंकार सभा में राम मंदिर निर्माण की मांग पर जोर दिया. नागपुर में उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसी वजह से राम मंदिर निर्माण की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर फैसला चुनाव से पहले आना चाहिए. राम मंदिर बनने से सारे झगड़े खत्म हो जाएंगे. भागवत ने कहा कि मंदिर पर कानून बनाने के लिए जन दबाव जरूरी है. जन दबाव पड़ने से सरकार को मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने के लिए बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने जन संवेदनाओं को नहीं समझा.

संघ प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर पर कोर्ट से फैसला जल्दी मिलना चाहिए.उन्होंने आगे कहा कि जनहित का मामला टालना नहीं चाहिए. सत्य और न्याय को टालते रहना ठीक नहीं है. लगता है कि कोर्ट की प्राथमिकता में मंदिर है ही नहीं. समाज केवल कानून से नहीं चलता है और न्याय में देरी भी अन्याय के बराबर है. मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर के मसले पर लड़ना नहीं है लेकिन अड़ना है.

भागवत ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द राम मंदिर पर कानून बनाना चाहिए. श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर का औचित्य सिद्ध हो चुका है. सभी प्रकार के तर्क के बाद कोर्ट का निर्णय आया. अब कोर्ट के निर्णय को टाला जा रहा है. मोहन भागवत ने कहा कि 80 के दशक से जो प्रयास करने वाले लोग है उन्‍हीं के हाथ से मंदिर बनना चाहिए. राम मंदिर बनने के लिए समस्त समाज को हम इकट्ठा करेंगे. यह भी पढ़ें- अयोध्या: धर्मसभा में रामभद्राचार्य ने भक्तों को दिलाया भरोसा, कहा- बीजेपी ही बनवाएगी मंदिर, 11 दिसंबर के बाद होगा बड़ा एलान

मोहन भागवत ने कहा कि अगर किसी कारण, अपनी व्यस्तता के कारण या समाज की संवेदना को न जानने के कारण कोर्ट की प्राथमिकता नहीं है तो सरकार सोचे कि इस मंदिर को बनाने के लिए कानून कैसे आ सकता है और जल्द ही कानून को लाए. यही उचित है.

अब धैर्य नहीं रखना, बल्कि जन जागरण करना है 

भागवत ने कहा कि सदियों से अयोध्या में रामलला विराजमान हैं. हिंदुओं में धैर्य है इसलिए ही राम मंदिर निर्माण के लिए 30 साल का समय लग गया है. एक साल पहले मैंने कहा था कि धैर्य रखना लेकिन अब धैर्य नहीं रखना है बल्कि जन जागरण करना है.