इस साल 2021 में राजनीति के मैदान के विभिन्न पार्टी के 5 धुरंधरों ने इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारे में हलचल मचायी, तो कुछ ने पार्टी की अदला-बदली कर एक बड़े बदलाव की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कराया है. उत्तर प्रदेश और गोवा के चुनावी मैदान में कांग्रेस के साथ उतर सकती है शिवसेना, संजय राउत ने कही यह बड़ी बात.
साल 2021 के कुछ दिन शेष रह गये हैं. इस वर्ष राजनीति से लेकर खेल के मैदान तक तमाम उलट-फेर हुए. यहां बात करेंगे राजनीति के मैदान की, जहां पांच धुरंधर नेताओं ने अप्रत्याशित इस्तीफे दिये. जबकि कुछ राजनेताओं ने पार्टी से विलग होकर खुद की पार्टी गठित कर सनसनी फैलाई. आइये जानें विस्तार से...
विजय रुपाणी (गुजरात मुख्यमंत्री) का इस्तीफा!
जिन दिनों दुनिया भर में कोरोना की दहशत छाई हुई थी, तीसरे लहर के आने और बचने की चेतावनियां दी जा रही थीं, कि एक दिन अचानक 11 सितंबर 2021 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया. गौरतलब है कि विजय रुपाणी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे और अपने कार्यकाल का चौथा साल पूरा करने से महज 3 माह दूर थे.
अगस्त 2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद विजय रुपाणी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने. रूपाणी ने इस्तीफा देने के बाद मीडिया से कहा था, -मुझे पांच साल तक राज्य की सेवा करने की इजाजत दी गई. मैंने राज्य के विकास में भरपूर योगदान दिया है. आगे मेरी पार्टी जो भी कहेगी, मैं करूंगा.
कैप्टन अमरिंदर सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री पंजाब) का इस्तीफा
पंजाब के धुरंधर नेता और अपनी कूटनीति से बड़ों-बड़ों को मात देनेवाले पूर्व कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 18 सितंबर 2021 को पंजाब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. हैरानी की बात यह कि कैप्टन ने यह इस्तीफा कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक से पहले ही दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा दिनांक 18 सितंबर 2021 दिन शनिवार को इस्तीफा पंजाब के राज्यपाल को सौंपा था.
बात अगर महज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की होती तो भी ठीक था, मगर 2 नवंबर 2021 को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी के बच्चों राहुल और प्रियंका गांधी के आचरण से आहत होकर कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने की बात कही थी. पार्टी से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हलचल मच गई थी. बहरहाल कैप्टन अमिरंदर सिंह ने ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ नाम से अपनी पार्टी गठित कर लोगों की उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं,
त्रिवेंद्र सिंह रावत (उत्तराखंड मुख्यमंत्री) का इस्तीफा!
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की ही तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी 9 मार्च 2021 मंगलवार के दिन अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका चुके थे. त्रिवेंद्र सिंह ने भी उत्तराखंड में भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने से ठीक नौ दिन पहले उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को इस्तीफा सौंपा था. त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार वह भारतीय सैनिक के पुत्र हैं, इसलिए मर्यादा और अनुशासन उनकी रग-रग में है, मैंने उसी मर्यादा और अनुशासन के तहत पद से इस्तीफा दिया है.
तीरथ सिंह रावत का (उत्तराखंड मुख्यमंत्री) इस्तीफा
इस वर्ष का सबसे चौंकानेवाला इस्तीफा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का था. गौरतलब है कि 9 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद ही पार्टी ने 10 मार्च 2021 को पौढ़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. लेकिन तीरथ सिंह रावत को अभी चार माह भी सत्ता संभाले नहीं हुआ था कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया. इस्तीफा देने के बाद तीरथ सिंह ने एक कॉन्फ्रेंस में बताया था कि संवैधानिक संकट को देखते हुए मुझे इस्तीफा देना उचित लगा.
बी.एस. येदियुरप्पा (कर्नाटका मुख्यमंत्री) का इस्तीफा
उपरोक्त मुख्यमंत्रियों की तरह कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को भी अपना कार्यकाल पूरा किये बिना इस्तीफा देना पड़ा था. बीएस येदियुरप्पा ने जुलाई 2021 को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत को अपना इस्तीफा सौंपा था. बाद में उन्होंने अपने बयान में कहा था कि मैंने कर्नाटका सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर स्वेच्छा से इस्तीफा देने का फैसला किया है. इसके लिए मुझे किसी ने विवश नहीं किया है. मैं भाजपा को पुनः सत्ता में लाने के सपने संजोकर यहां से जा रहा हूं. पार्टी कमान का फैसला मुझे सर्वमान्य है.