अमेरिका में अटॉर्नी जनरल न्याय विभाग का नेतृत्व करता है. यौन तस्करी के आरोपों के चलते विरोध झेल रहे मैट गेट्ज की नाम वापसी के बाद बॉन्डी को इस पद तक पहुंचने का मौका मिला है. वे ट्रंप की पुरानी सहयोगी हैं.अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पैम बॉन्डी को अगले अटॉर्नी जनरल के रूप में चुना है. 59 साल की बॉन्डी ट्रंप के पुराने सहयोगियों में हैं. वे इससे पहले फ्लोरिडा की अटॉर्नी जनरल भी रह चुकी हैं. उनकी नियुक्ति को लेकर ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, "पैम न्याय विभाग का ध्यान अपराध से लड़ने और अमेरिका को फिर से सुरक्षित बनाने की ओर केंद्रित करेंगी.”
इससे पहले गुरुवार को ट्रंप की पहली पसंद रहे मैट गेट्ज ने चुनाव प्रक्रिया से अपना नाम वापस ले लिया था. गेट्ज पर यौन तस्करी और यौन दुराचार के आरोप लगे थे. न्याय विभाग ने संभावित यौन तस्करी के उल्लंघनों को लेकर करीब तीन साल तक गेट्ज की जांच की थी. हालांकि, गेट्ज ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है.
अमेरिका में अटॉर्नी जनरल एक अहम पद होता है. इस पद पर काबिज व्यक्ति अमेरिका के न्याय विभाग का नेतृत्व करता है. न्याय विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल आमतौर पर कानूनी मामलों में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करता है. इसके अलावा, राष्ट्रपति और सरकार के अन्य विभागों के प्रमुखों को सलाह और राय देता है.
गेट्ज से ज्यादा अनुभवी हैं पैम बॉन्डी
फ्लोरिडा अमेरिका का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है. पैम बॉन्डी फ्लोरिडा की अटॉर्नी जनरल बनने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने 2011 से 2019 तक इस पद पर काम किया था. इससे पहले वे 18 सालों तक अभियोजक के तौर पर भी काम कर चुकी थीं. यानी उन्हें कानूनी मामलों का लंबा अनुभव है. इसके उलट, गेट्ज के पास अभियोजक के तौर पर कोई अनुभव नहीं है.
राष्ट्रपति चुने गए ट्रंप के खिलाफ जारी मुकदमों का क्या होगा?
रिपब्लिकन सांसदों के नेतृत्व वाली सीनेट से पुष्टि होने पर बॉन्डी अमेरिका की अटॉर्नी जनरल बन जाएंगी. उनके कार्यकाल पर सबकी निजरें होंगी क्योंकि रिपब्लिकन नेताओं ने कथित विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी है. वहीं, डेमोक्रेट नेताओं को चिंता है कि वे न्याय विभाग को अपने अनुसार ढालने की कोशिश करेंगी.
ट्रंप की पुरानी सहयोगी हैं बॉन्डी
बॉन्डी ट्रंप की कट्टर समर्थक और पुरानी सहयोगी हैं. 2016 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान उन्होंने ट्रंप का समर्थन किया था. चुनाव जीतने के बाद जब ट्रंप राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे थे, तब वे उनकी ट्रांजिशन टीम का हिस्सा थीं. जब ट्रंप के पहले अटॉर्नी जनरल जेफ सेशंस को 2018 में हटाया गया था, तब बॉन्डी का नाम अटॉर्नी जनरल पद के लिए सामने आया था. हालांकि, तब उन्हें यह पद नहीं मिला था.
बॉन्डी ने ‘अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी इंस्टीट्यूट' की अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया. यह एक थिंक टैंक है, जिसे ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने शुरू किया था. ट्रंप के खिलाफ सीनेट में हुए पहले महाभियोग परीक्षण के दौरान वे उनकी कानूनी टीम का हिस्सा थीं. उन्हें व्हाइट हाउस की संदेश और संचार प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए लाया गया था. ट्रंप और उनके सहयोगियों ने शुरुआत से ही महाभियोग को अवैध ठहराने की कोशिश की थी.
प्रवासियों के साथ क्या-क्या कर सकते हैं ट्रंप
बॉन्डी ट्रंप के खिलाफ दायर हुए आपराधिक मामलों की मुखर आलोचक रही हैं. उन्होंने ट्रंप पर आरोप लगाने वाले अभियोजकों को भयानक लोग बताया था. उनका कहना था कि वे लोग डॉनल्ड ट्रंप के पीछे पड़कर और कानून प्रणाली को हथियार बनाकर अपना नाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क में चले ‘हश मनी' मामले में भी ट्रंप का समर्थन किया था. इस मामले में ट्रंप को 34 गंभीर आरोपों का दोषी पाया गया था.
विवादों में भी रही हैं पैम बॉन्डी
साल 2013 में ट्रंप फांउडेशन ने बॉन्डी का समर्थन करने वाली राजनीतिक समिति को 25 हजार डॉलर का दान दिया था. यह पक्षपातपूर्ण राजनीतिक गतिविधियों की मदद करने वाले दान पर लगे कानूनी प्रतिबंधों का उल्लंघन था. दरअसल, उस समय बॉन्डी के कार्यालय को यह फैसला लेना था कि ट्रंप यूनिवर्सिटी पर लगे धोखाधड़ी के आरोपों की जांच करनी चाहिए या नहीं. दान का चेक मिलने के बाद, बॉन्डी के कार्यालय ने ट्रंप यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया था.
जब 2016 में इस दानराशि ने सुर्खियां बटोरीं तो बॉन्डी ने कहा कि दान दी गई राशि का उनके फैसले से कोई संबंध नहीं था और उनके कार्यालय ने सभी जरूरी दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए थे. ट्रंप ने भी कुछ गलत करने से इनकार किया था. हालांकि बाद में इस अवैध राजनीतिक दान की वजह से ट्रंप को आंतरिक राजस्व सेवा को 2500 डॉलर का जुर्माना देना पड़ा था.
न्यूयॉर्क राज्य द्वारा की गई जांच के बाद ट्रंप यूनिवर्सिटी और ट्रंप फाउंडेशन को भी बंद कर दिया गया था. जनवरी 2017 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से दो दिन पहले ट्रंप ने तीन मुकदमों में समझौता करने के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. इन मुकदमों में ट्रंप यूनिवर्सिटी पर अपने छात्रों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगे थे.
एएस/एनआर (रॉयटर्स)