ऑपरेशन ब्लू स्टार की 35वीं बरसी पर गृहमंत्री अमित शाह से मिले सुखबीर बादल, बोले- इस मामले की हकीकत से जल्द उठे पर्दा
गृहमंत्री अमित शाह और सुखबीर बादल (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: गुरुवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की 35वीं बरसी के मौके पर पंजाब (Punjab) के अमन में किसी भी तरह का खलल न पड़ सके, इसके लिए अमतृसर के स्वर्ण मंदिर (Amritsar Golden Temple)  की सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए. इस बीच शिरोमणी अकाली दल के प्रधान व पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल (Sukhbir Badal) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंचे. जहां उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मुद्दे के बादऑपरेशन ब्लू स्टार का मामला उठाया. इस मुलाकात के दौरान सुखबीर बादल ने अमित शाह से ऑपरेशन ब्लू स्टार की सच्चाई से पर्दा उठाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए.

उन्होंने इस दौरान शाह को एक ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें उन्होंने गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए लिखा है कि हम इस उत्सव से पूरी तरह संतुष्ट हैं, लेकिन हम इसमें एक और कार्यक्रम जोड़ना चाहते हैं. ज्ञापन में सुखबीर ने लिखा है कि हम इस मौके पर भारत से पाकिस्तान में स्थित श्री ननकाना साहिब तक ऐतिहासिक नगर कीर्तन निकालना चाहते हैं, इसलिए केंद्र सरकार से हमारा अनुरोध है कि इस नगर कीर्तन के सफल आयोजन के लिए वे पाकिस्तान की सरकार से बात करें.

गृहमंत्री अमित शाह से मिले सुखबीर बादल- 

बता दें कि सुखवीर बादल के अलावा अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और अन्य पंथक नेताओं ने भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की 35वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर पर हमले की घटना को गलत ठहराते हुए इस मामले की जांच की मांग की है. उनका आरोप है कि सैन्य कार्रवाई के दौरान यहां से लूटी गई संपत्ति का ब्यौरा भी आज तक सांझा नहीं किया गया है. यह भी पढ़ें: Operation Blue Star की 35वीं बरसी आज, अमृतसर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

गौरतलब है कि 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर के (स्वर्ण मंदिर) हरिमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. तीन दिन तक चले इस ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर में 492 लोगों की जान चली गई थी, जबकि सेना के चार अधिकारियों समेत 83 जवान शहीद हुए थे.