
जर्मन सांसदों ने आप्रवासियों के खिलाफ विवादित प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सीडीयू/सीएसयू के नेतृत्व में विपक्षी दलों के इस बिल को मामूली बढ़त से सांसदों ने नकार दिया.फ्रीडरिष मैर्त्स के इस प्रस्ताव के खिलाफ 350 वोट पड़े जबकि समर्थन में केवल 338 वोट. पांच सांसदों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सीडीयू/सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स इस प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए अमादा थे और इस वजह से जर्मनी की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. यह
23 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में मैर्त्स की पार्टी फिलहाल सबसे आगे चल रही है. बिल पास होने से पहले शुक्रवार, 31 जनवरी को जर्मन राजनेताओं ने बर्लिन में इस बिल पर गहन चर्चा की. बंद दरवाजों के पीछे हुई इन चर्चाओं का मकसद बिल पर प्रमुख पार्टियों को एकजुट करना था. सीडीयू/सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने शपथ ली है कि वह जर्मनी की आप्रवासन नीति में कठोर सुधारों को शामिल करा कर रहेंगे. इसके लिए उन्हों ने धुर- दक्षिणपंथी दलों का भी साथ लिया. इसकी वजह से उन्हें तीखी आलोचना और कई पार्टियों का विरोध झेलना पड़ा है.
जर्मनी में उथल पुथल
चुनाव के पहले उठे इस बवाल ने जर्मन राजनीति में भारी उथल पुथल मचाई है. मामला इसलिए भी बड़ा हो गया है क्योंकि चांसलर पर की दौड़ में मैर्त्स और सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे चल रहे हैं. चांसलर सॉल्त्स की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, एएफडीपी और ग्रीन पार्टी के बड़े नेता भी मैर्त्स के ऑफिस बुधवार को उनसे बंद दरवाजों के पीछे बातचीत करने पहुंचे थे. बुंडेस्टाग का सत्र बार बार स्थगित होता और टलता रहा क्योंकि पार्टी नेता क्या करना है उस पर चर्चा करते रहे. बिल पर चर्चा सुबह 10:30 बजे शुरू होनी थी लेकिन बार बार यह टलती रही.
मैर्त्स की सीडीयू/सीएसयू ने इसी मसले पर एक गैर बाध्यकारी प्रस्ताव को पास कराने में सफलता हासिल कर ली थी. बुधवार को पारित हुए इस प्रस्ताव में आप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पांच बिंदु तय किए गए थे. इसके लिए उन्हें एएफडी का समर्थन लेना पड़ा. जिसके बाद मामला काफी ज्यादा बिगड़ गया. गुरुवार की रात जर्मनी की सड़कों पर दसियों हजार लोगों ने निकल कर प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के आगे जारी रहने की आशंका जताई जा रही है.
मैर्त्स की तीखी आलोचना
मैर्त्स को अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ी. इनमें पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल की तीखी आलोचना भी शामिल थी. एएफडी के साथ किसी तरह का सहयोग जर्मन राजनीति में किसी वर्जना की तरह है. मैर्त्स के इस कदम ने एएफडी को पहली बार अपने समर्थन से किसी बिल को पास कराने का मौका दे दिया. पार्टी ने इसका खूब जश्न भी मनाया.
बहुत से लोग एएफडी को किसी चरमपंथी पार्टी की तरह देखते हैं और उसे जर्मन राजनीति के बाकी दलों से अलग रखते हैं.
शुक्रवार की वोटिंग से पहले लोकलुभावनवादी सारा वागेनक्नेष्ट अलायंस पार्टी और उदारवादी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा की थी. हालांकि इन पार्टियों में भी इस फैसले का विरोध हुआ और नेताओं ने पार्टी लाइन से उठ कर इस प्रस्ताव का विरोध किया है. यही वजह है कि प्रस्ताव संसद में गिर गया.
एनआर/एसएम (डीपीए)