Power Supply Crisis in Uttar Pradesh: यूपी की योगी सरकार ने 15 जनवरी तक टाला बिजली के निजीकरण का फैसला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: ANI)

खनऊ 6 अक्टूबर. उत्तर प्रदेश में पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथों में देने का फैसला 15 जनवरी तक टाल दिया गया है. प्रदेश के बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं का सोमवार से शुरू हुआ प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार मंगलवार को समाप्त कर दिया है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की कैबिनेट उप समिति के बीच वार्ता में पूवार्ंचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की सहमति बन जाने के बाद कार्य बहिष्कार समाप्त करने का एलान किया गया. दोनों मंत्रियों और मुख्य सचिव आऱ क़े तिवारी की मौजूदगी में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व पावर कार्पोरेशन प्रबंधन के बीच समझौते पर दस्तखत किए गए. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मंत्रियों के साथ आला अधिकारियों को लेकर हाइलेवल बैठक भी की थी.

बीती देर रात तक वार्ता में भी लगभग इन्हीं मुद्दों पर सहमति बन गई लेकिन अरविंद कुमार के समझौते पर दस्तखत करने से इनकार कर देने की वजह से टकराव बढ़ गया था. सोमवार रात में वार्ता विफल हो जाने के बाद कार्य बहिष्कार का व्यापक असर नजर आने लगा था. मंगलवार को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में बिजली आपूर्ति अस्त-व्यस्त रही. इसी बीच पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी कार्य बहिष्कार में शामिल होने का एलान कर दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। दिन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री व शासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की. यह भी पढ़ें-हाथरस कांड: मायावती का योगी सरकार पर निशाना, कहा- पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में ध्यान लगाए सरकार

इसके बाद कैबिनेट उप समिति को संघर्ष समिति से वार्ता करके गतिरोध समाप्त करने का जिम्मा सौंपा गया। कैबिनेट उप समिति के साथ वार्ता में फिलहाल पूवार्ंचल निगम का निजीकरण न करने पर सहमति हो गई. समझौते में कहा गया है कि प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही बिजली सुधार के लिए कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जा रही है.

पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की घोषित अनिश्चिकालीन हड़ताल का दो दिनों से बड़ा असर हो रहा है। पानी नहीं आने से कई जगह हाहाकार मचा रहा। सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी विरोध में डटे रहे। इन लोगों ने कई जगह पर बिजली काटी. बिजली ना आने से कई जिलों में पेयजल न होने के कारण हालात बिगड़ गए. सूबे की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री से लेकर उपमुख्यमंत्री और तमाम मंत्रियों के आवास पर बिजली व्यवस्था चरमराती दिखी. कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई. प्रदेश के पूवार्ंचल के जिलों के साथ ही सूबे की राजधानी लखनऊ में भी बिजली संकट खड़ा हो गया। लोग इसके कारण काफी परेशानी में थे. वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली, मुरादाबाद के साथ अन्य सभी जिलों में बिजली का संकट गहरा गया. निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने ब्रेकडाउन की शिकायतें भी नहीं ली.