Manish Sisodia: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आप नेता मनीष सिसोदिया ने रविवार को शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी के अनुभाव को याद किया है. उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित पार्टी के 'जनता की अदालत' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ' जब मैं जेल में था, तो बीजेपी ने उन्हें पक्ष बदलने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता है कि कोई भी राम को लक्ष्मण से अलग नहीं कर सकता है. सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल के मुंह में जबरन यह बात ठूंस दी गई कि केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया का नाम लिया है और सारा दोष उन पर डाल दिया है.
''जिस दिन जांच एजेंसी ने कोर्ट में कहा कि केजरीवाल ने मेरा नाम लिया है, उसी दिन वे मेरे पास आए और कहा कि केजरीवाल ने आपका नाम लिया है, बेहतर होगा कि आप भी उनका नाम ले लें. मुझे बताया गया कि अरविंद केजरीवाल ने मुझे फंसाया है.''
मनीष सिसोदिया ने जेल का अनुभव याद करते हुए BJP पर साधा निशाना
BJP वाले जब मेरे मेरे पास आते थे तो मैं यही जवाब देता था कि तुम लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो,
दुनिया के किसी रावण में इतनी ताक़त नहीं है जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके।@msisodia #जनता_की_अदालत_में_केजरीवाल pic.twitter.com/bt9RYutqfu
— AAP (@AamAadmiParty) September 22, 2024
सिसोदिया ने आगे कहा कि मुझसे जेल में केजरीवाल का नाम लेने के बदले, रिहा करने की शर्त रखी गई. मुझसे कहा गया, 'बदल जाओ', 'वे तुम्हें जेल में मरवा देंगे'. मुझे अपने बारे में सोचने को कहा गया और कहा गया कि राजनीति में कोई किसी के बारे में नहीं सोचता. मुझे अपने परिवार, अपनी बीमार पत्नी और अपने बेटे के बारे में सोचने को कहा गया, जो कॉलेज में पढ़ता है. जब भाजपा वाले मेरे पास आते थे, तो मैं कहता था कि तुम लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो. दुनिया के किसी रावण में इतनी ताकत नहीं है कि वह लक्ष्मण को राम से अलग कर सके. 26 सालों से अरविंद केजरीवाल मेरे भाई और राजनीतिक गुरु रहे हैं.
सिसोदिया ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद मुझे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि मेरे सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए थे. 2002 में जब मैं पत्रकार था, मैंने 5 लाख का फ्लैट खरीदा था, उसे भी छीन लिया गया. मेरे खाते में 10 लाख रुपये थे, उसे भी छीन लिया गया. मुझे अपने बेटे की फीस भरने के लिए मदद की भीख मांगनी पड़ी.